आगरा में भी अब प्री-मैच्योर बच्चों की देखभाल कंगारू केयर यूनिट में हो सकेगी. आगरा मंडल की पहली कंगारू केयर यूनिट गुरुवार को एसएन मेडिकल कॉलेज SNMC के बाल रोग विभाग में शुरू हुई है. कंगारू केयर में शिशु को मां के शरीर की गर्माहट से एनर्जी मिलती है. वह मां के ब्रेस्ट के नजदीक होने की वजह से बेहतर ढंग से दूध पी सकता है. जिससे शिशु का वजन भी बढ़ता है. कंगारू केयर यूनिट का उद्घाटन SNMC के प्रिंसिपल डॉ. प्रशांत गुप्ता ने किया. इस अवसर पर SNMC की पूर्व प्राचार्य व वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. सरोज सिंह और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज यादव समेत अन्य लोग मौजूद रहे.
SNMC के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज यादव बताते हैं कि, आगरा मंडल की एसएनएमसी में पहली यूनिट खुली है. जहां पर प्री-मैच्योर बच्चों की बेहतर देखभाल होगी. यूनिट में छह स्पेशल चेयर हैं. जहां पर कंगारू केयर देने वाली महिला या पुरष को एक स्पेशल जैकेट भी पहनाई जाएगी. कंगारू केयर में शिशु को मां या परिवार का कोई भी पुरुष छाती के बीच खड़ी अवस्था में रख सकता है. कंगारू केयर में शिशु का चेहरा एक तरफ रखते हैं. जिससे शिशु आसानी से सांस ले सके. इसके साथ ही कंगारू केयर देने वाला उसे देख भी सके. कंगारू केयर से शिशु का संपूर्ण स्वास्थ्य और विकास होता है. यह केयर जन्म के तुरंत बाद शुरू की जा सकती है.
कंगारू मदर केयर के फायदे
SNMC की पूर्व प्राचार्य व वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. सरोज सिंह का कहना है कि, प्री-मैच्योरबच्चों को थर्मल रेगुलेशन की चुनौती का सामना करना पड़ता है. ऐसे शिशुओं की देखरेख कंगारू केयर यानी स्किन टू स्किन संपर्क से बेहतर रहती है. इसमें शरीर का ताप रेगुलेट होता है. शिशु का मां के साथ सामंजस्य प्रभावी होता है. जो शिशु अपनी मां के करीब होते हैं. ऐसे शिशु नियोनेटल केयर यूनिट में रहने वाले शिशुओं की तुलना में बेहतर नींद लेते हैं. क्योंकि, इसमें शिशु को अपनी मां के शरीर की गर्माहट महसूस होती है.
कंगारू केयर के यह फायदे चौंकाने वाले
- शिशुओं की नींद में सुधार होता है.
- शिशु के हार्ट रेट स्टेबलाइज होती है.
- शिशु को ब्रेस्टफीड कराने में मदद.
- शिशु का वजन बढ़ाने में मदद होती है.
- शिशु के शरीर का ताप बेहतर रहता है.
- मां के शरीर की गर्माहट से एनर्जी मिलती है.