आगरा.
सबसे बड़ा सुख निरोगी काया. ताजनगरी में आशा प्रियंका, एएनएम सुदामा और यूनिसेफ की बीएमसी शाइना परवीन इसी मंशा से काम कर रही हैं. क्योंकि, गंभीर बीमारियां बढ़ने से रोकने के लिए बचपन से नियमित टीकाकरण किया जाए. आगरा में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शहर के शाहगंज में 16 ऐसे परिवार खोजे और उन्हें टीकाकरण की जानकारी दी. परिवारों को टीकाकरण के फायदे भी गिनाए. जिससे बच्चों का टीकाकरण हुआ. आशा प्रियंका, एएनएम सुदामा और यूनिसेफ की बीएमसी शाइना परवीन की सभी सराहना कर रहे हैं.
आगरा सीएमाअे डॉ. अरूण श्रीवास्तव बताते हैं कि, सभी लोगों तक स्वस्थ्य सेवाएं पहुंचे. इस पर जोर दिया जा रहा है. जो लोग टीकाकरण करने मना करते हैं. उन्हें समझाया जाता है. टीकाकरण के फायदे गिनाए जाते हैं. विभाग की टीमें लगातार इसका फॉलोअप करती हैं. जिससे जिले में टीकाकरण का प्रतिशत भी बढ़ रहा है.

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन बताते हैं कि, स्वास्थ्य विभाग की टीम से वैक्सीन अवॉयड बिहेवियर(वीएबी) यानी टीकाकरण कराने के लिए हमारी टीमें राजी करती हैं. जिसके बाद बच्चों का टीकाकरण कराया जाता है. इसमें यूनिसेफ के रीजनल कोऑर्डिनेटर अरविंद कुमार शर्मा और डीएमसी राहुल कुलश्रेष्ठ और उनकी टीम का सहयोग कर रही है.

एएनएम प्रियंका बताती हैं कि, मैं अपने क्षेत्र में नियमित टीकाकरण करा रही हूं. लेकिन, ढोलीबस्ती में 16 परिवार हर बार टीकाकरण कराने से इनकार कर देते थे. मैंने उन्हें टीकाकरण के फायदे गिनाए. उन्हें टीकाकरण की महत्ता समझाई. तब वे टीकाकरण कराने की मान गए. सभी बच्चों को टीके लगाए जा चुके हैं. इस बारे में आशा प्रियंका बताती हैं कि, हमारी ड्यूटी लोगों तक विभाग की हर योजना और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है. हम क्षेत्र में हर वक्त काम करते हैं. इसलिए हम घर जाते हैं. जिससे जनता का विश्वास बढ़ रहा है.

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन बताते हैं कि, नियमित टीकाकरण बच्चे को 11 तरह की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है. टीबी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, टीटनेस, मिजिल्स, परट्यूटिस (काली खांसी), रूबेला, निमोनिया, वायरल डायरिया और हीमोफिलस इंफ्लूएंजा जैसे घातक बीमारी से टीके बच्चों को बचाते हैं. ये सभी टीके निजी अस्पतालों में महंगे दामों पर लगवाए जाते हैं. जबकि, सरकारी अस्पतालों में यह टीके निःशुल्क लगाए जाते हैं.

ये निःशुल्क टीके हैं जरूरी
- शिशु के जन्म पर बीसीजी, हेपेटाइटिस बी एवं पोलियो की जीरो डोज दी जाती है.
- शिशु के डेढ़ महीने होने पर पेंटावैलेट एक, ओपीवी एक, एफआईवीपी एक, रोटा एक एवं पीसीवी एक का टीका लगाया जाता है.
- शिशु के ढाई महीने का होने पर पेंटावेलेट दो, ओपीवी दो और रोटा दो की डोज दी जाती है.
- शिशु के साढ़े तीन महीने का होने पर पेंटावेलेट तीन, ओपीवी तीन, एफआईपीवी दो, रोटा तीन एवं पीसीवी दो की डोज दी जाती है.
- बच्चे के नौ से बारह महीने की उम्र में एमआर एवं पीसीवी और विटामिन ए की डोज दी जाती है.
- बच्चा की उम्र 16 से 24 माह होने पर उसे एमआर, डीपीटी, ओपीवी और विटामिन ए हर 6 माह पर 5 साल तक देना होता है.
- बच्चे की उम्र पांच से छह साल होने पर डीपीटी की डोज लगाई जाती है.
- बच्चे की उम्र 10 साल की उम्र में टीडी का टीका लगेगा.
- बच्चा की उम्र 16 साल की होने पर टीडी की डोज लगवाएं.
- गर्भवती को टीडी का टीका लगाया जाता है.