आज के दौर में न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्यों का दायर बढ़ा है. वैश्विक स्तर पर तमाम तरह की न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. हमारे शरीर में तंत्रिका तंत्र का जाल बुना हुआ है. यही तंत्रिका तंत्र की वजह से हमें देखने, सूंघने, चलने और बोलने में मदद मिलती है. क्योंकि, तंत्रिका तंत्र के माध्यम से ही मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, मांसपेशियां एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं. इसके साथ ही याददाश्त, बोलना, निगलना, सांस लेना के अलावा आंत और मूत्राशय कार्य करता है. इसमें जरा सी दिक्कत होने से मुश्किल बढ जाती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिसर्च कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है. शोधकर्ताओं ने एक ऐसा स्मार्टफोन एप तैयार किया है. जो आंखों के क्लोजअप रिकॉर्ड करके अल्जाइमर, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) और कई तरह की अन्य न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं की घर बैठे जानकारी देगा. मगर, यह रिसर्च अभी फिलहाल एसीएम कंप्यूटर ह्यूमन इंटरेक्शन कॉनफ्रेंस ऑन ह्यूमन फैक्टर इन कंप्यूटिंग सिस्टम (सीएचआई 2022) सम्मेलन में प्रस्तुत होना बाकी है. जिसके बाद ही इसे मान्यता मिलेगी.
यूं करेगा मोबाइल एप काम
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विशेष मोबाइल एप में नियर-इन्फ्रारेड कैमरा का उपयोग करके व्यक्ति की पुतली के आकार में आए बदलाव के आधार पर ही न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का पता लगेगा. नियर-इन्फ्रारेड कैमरा, स्मार्टफोन में फेस रिकग्नाइजेशन के लिए है. जो, सेल्फी कैमरा के साथ लगा है. क्योंकि, शोधकर्ताओं का दावा है कि, रिसर्च में यह मालूम हुआ कि, पुतली का आकार किसी व्यक्ति के तंत्रिका संबंधी कार्यों की जानकारी प्रदान करता है. जैसे, कठिन संज्ञानात्मक कार्य करने या फिर कुछ अप्रत्याशित ध्वनि सुनने की स्थिति में स्वाभाविक रूप से पुतली का आकार बढ़ता है. इसी तकनीक पर मोबाइल एप विकसित किया गया है.
मोबाइल एप से मिलगी सटीक जानकारी
शोधकर्ताओं का दावा है कि, नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में पुतली को आईरिस से आसानी से अलग रखकर रिसर्च किया गया था. मोबाइल एप आंखों में सब-मिलीमीटर सटीकता के साथ पुतली के आकार की गणना करने में सक्षम है. शोधकर्ताओं का यह भी दावा है कि, इस मोबाइल एप से बुजुर्गों में अच्छे परिणाम आते हैं. कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कॉलिन बैरी बताते हैं कि, वैसे तो अभी भी इस मोबाइल एप में अभी बहुत काम किया जाएगा. लेकिन, नैदानिक प्रयोगशाला सेटिंग्स के परीक्षण के आधार पर पता चलता है कि, इससे आसानी से ही घर बैठे लोगों के लिए न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाना आसान होगा. यह मोबाइल एप एक बड़ी क्रांति साबित होगा.