आगरा. एक वक्त था. जब मासिक धर्म को लेकर किशोरी और युवतियां किसी से बात भी नहीं करती थीं. किशोरी और युवतियां अपने उन दिनों की बात सिर्फ अपनी मां से ही शेयर करती थीं. मासिक धर्म पर चुप्पी की वजह तमाम थीं. मगर, अब जागरुकता से मां और पिता भी किशोरी व युवती की मासिक धर्म की स्वच्छता पर ध्यान देते हैं. इतना ही नहीं, पिता भी अपनी बेटियों की मासिक धर्म स्वच्छता का ध्यान रख रहे हैं. यह कहना है कि, जिला महिला अस्पताल स्थित साथिया केंद्र की काउंसलर रूबी बघेल का है.
साथिया केंद्र की काउंसलर रूबी बघेल बताती हैं कि, उनके केंद्र और उनके पास पिता भी अपनी बेटियां लेकर आ रहे हैं. जो मासिक धर्म स्वच्छता की पर बेटियों की काउंसलिंग कराते हैं. क्योंकि, पिता अब समझने लगे हैं कि, बेटियों की सेहत के लिए बहुत जरूरी है. इसलिए पिता भी अब बेटियों की मदद कर रहे हैं.
काउंसलर रूबी बघेल बताती हैं कि, हाल ही में एक दसवीं की छात्रा परेशान थी. उसे मासिक धर्म को लेकर परेशानी आ रही थी. इसके चलते पिता साथिया केंद्र पर बेटी को लेकर आए. उन्होंने बेटी दिखाया. बेटी की छात्रा काउंसलिंग कराई और उसके उपचार करने की बात कही. यह पहला केस नहीं हैं. आए दिन साथिया केंद्र पर पिता या भाई अपनी बेटियां और बहनें लेकर आ रहे हैं.
कपड़े से होती थी मुश्किल

काउंसलर रूबी बघेल बताती हैं कि, मासिक धर्म के दिनों में कपड़ा उपयोग करने से परेशानी होती है. कपड़े के इस्तेमाल से निजी अंगों में खुजली, जलन और कई बार माहवारी भी अनियमित होने की समस्या हो जाती है. ऐसा ही मामला हाल में पंचकुइयां स्थित झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाली किशोरी और महिलाओं की काउंसलिंग में सामने आया है. आज भी वहां पर महिलाएं और किशोरियों मासिक धर्म में कपड़ा उपयोग करती हैं. जो स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है. जब एक बार कुछ सामाजिक संस्थाओं ने वहां पर सैनेटरी पैड बांटे तरे उन्हें सैनेटरी पैड की जानकारी हुई. कि, सैनेटरी पैड का उपयोग मासिक धर्म के दिनों में आराम दायक होता है.
यूं रहें मासिक धर्म के दिनों में स्वच्छता का ख्याल
- मासिक धर्म के दिनों में गंदे कपड़े का इस्तेमाल न करें.
- पैड या टैम्पन का ज्यादा समय तक इस्तेमाल न करें.
- शर्म और हिचक छोड़ें. पैड खरीदकर इस्तेमाल करें.
- मासिक धर्म के दिनों में व्यक्तिगत साफ-सफाई पर ध्यान दें.