आगरा.
आज युवाओं में प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर मलाशय और मलद्वार, गुदा बढ़ रहा है. ऐसे मामले आईटी इंडस्ट्री से जुड़े युवाओं में सबसे ज्यादा हैं. इसकी वजह युवाओं के आठ से 10 घंटे तक बैठकर काम करना है. इससे उनमें यह समस्या ज्यादा हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि, बदली जीवनशैली, धूम्रपान, मसालेदार खाना खाने से एनोरेक्टर डिसआर्डर और एनल कैंसर का खतरा बढ़ गया है.
दरअसल, आगरा में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी की 8वीं विश्व कांग्रेस हो रही है. विश्व कांग्रेस में गुरुवार को पहले दिन पश्चिमपुरी स्थित एसआर पैलेस होटल प्री कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप में प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर की बढ़ी समस्या पर चर्चा हुई. जिसमें नामनेर एसआर हॉस्पिटल और एसएन मेडिकल कॉलेज में देश विदेश से पहुंचे 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने सर्जरी की. जिसमें पांच आधुनिक तकनीकों (लेजर विधि, एमआईपीएच, चिवटे प्रोसीजर, सिग्मोडोस्कोपी, एंडोसूचरिंग) का प्रशिक्षण लिया.
आयोजन सचिव और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी आईएससीपी ने डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर ने बताया कि, पश्चिमी सभ्यता और पश्चिमी खानपान का भारत में चलन बढ़ा है. इससे सबसे ज्यादा प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर हो रहे हैं. आईटी सेक्टर में काम करने वाले युवा आठ से 10 घंटे तक बैठे रहते हैं. जब उन्हें भूख लगती है तो फास्ट फूड का सेवन करते हैं. इससे ही पाइल्स, फिशर, फिस्टुला प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर की समस्या हो रही है.
मसालेदार खाना से एनोरेक्टल डिसआर्डर
आयोजन सचिव और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी आईएससीपी ने डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर ने बताया कि, गर्भावस्था में पेल्विस रीजन में दबाव बढ़ जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं में भी यह समस्या बढ़ी है. वहीं, अधिक धूम्रपान, मसालेदार खाना और तनाव भरी जिंदगी से एनोरेक्टल डिसआर्डर बढ़ता है. जिससे एनल कैंसर भी बढ़ा है.
चिवटे प्रोसिजर से 48 घंटे में काम पर लौट रहे मरीज
डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर ने बताया कि, 400 वर्ष से हमारे यहां पाइल्स, फिशर के ऑपरेशन किए जा रहे हैं. जिसमें रक्तस्राव अधिक होता है. मरीज को एक महीने तक बिस्तर पर रहना पड़ता था. ऐसे में 12 वर्ष पहले चिवटे प्रोसीजर से सर्जरी शुरू की गई. चिवटे प्रासीजर के जनक डॉ. शांति कुमार चिवेट ने कार्यशाला में चिवटे प्रोसीजर का प्रशिक्षण दिया. इस प्रक्रिया में टांके इस तरह लगाए जाते हैं कि रक्तस्त्राव रुकता है और 48 घंटे बाद मरीज काम पर लौट सकता है. इस कार्यशाला में लेजर विधि, एमआइपीएच स्टेप्लर विधि, चिवटे प्रोसीजिर, सिग्मोइडोस्कापी, एंडोसूचरिंग विधि से सर्जरी की गई. आज 300 सर्जन को सर्जरी का प्रशिक्षण दिया गया.
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने किया कार्यशाला का शुभारम्भ
प्रीकांफ्रेंस वर्कशाप का शुभारम्भ मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री व आगरा सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, पश्चिमी खान-पान और जीवन शैली के प्रभाव गांव-गांव तक पहुंच रहा है. जिससे युवाओं में कब्ज व पेट से सम्बंधित बीमारियां बढ़ रहीं हैं. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कहा कि, विद्यार्थियों को इस कांफ्रेंस से बहुत लाभ मिलेगा. इसमें नई तकनीकों की खोज के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. आयोजन सचिव डॉ. अंकुर बंसल ने बताया कि तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ 24 फरवरी को दोपहर 2 बजे कलाकृति कनवेन्शन सेंटर में कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय करेंगे. कार्यशाला में देश विदेश के लगभग 1500 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. जो सर्जरी की नई विधा व तकनीक पर मंथन करेंगे.
इन्होंने दिया प्रशिणण
कार्यशाला में डॉ. अंकुर बंसल, डॉ. कल्याणकर, डॉ. करन रावत, डॉ. दीपक बंसल, डॉ. सोनावने, डॉ. अंजली दावले, डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. जगतपाल सिंह, डॉ. रोहित धवन, डॉ. सचिन अरोरा आदि द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें अन्तराष्ट्रीय फैकल्टी डॉ. फ्रांसिस सीओनसियोन, सिंगापुर ने स्टेपलर विधि का प्रशिक्षण दिया.
सर्जरी के मामलों में 30 प्रतिशत प्रोक्टोलॉजी
आयोजन सचिव डॉ. अकुर बंसल ने बताया कि पाइल्स, फिस्टुला, फिशर सहित मलाशय और मलद्वार की समस्या तेजी से बढ़ रही है. आज आलम यह है कि, भारत में जितनी भी सर्जरी की जा रही हैं. उसमें से 30 प्रतिशत इसी से जुड़ी हुई हैं. पिछले कुछ वर्षों में प्रोक्टोलाजी की सर्जरी तेजी से बढ़ी हैं. जिसकी मुख्य वह जीवनशैली व खान-पान का पश्चिमीकरण होना है.