गुरुग्राम:
कोरोना के कहर से दुनिया कराह रही है. आज भी कोरोना का नाम जेहन मे आते ही लोगो की रूह कांप जाती है. क्योंकि, अभी कोरोना सिर्फ थमा है. अभी खत्म नहीं हुआ है. इसी वजह से आज भी तमाम लोग कोरोना की वजह से दहशत में हैं. आज हम कोरोना के खौफ की एक ऐसी ही खबर लेकर आए हैं. जो, दिल्ली से सटे गुरुग्राम की है. कहानी गुरुग्राम के मारुति कुंज में रहने वाले एक इंजीनियर सुजान माझी, उसकी पत्नी मुनमुन माझी और दस वर्षीय बेटे की है. कोरोना के खौफ में मुनमुन माझी ने खुद के साथ 7 वर्षीय बेटा को घर में कैद कर लिया. मुनमुन का डर था कि, पति सुजान माझी के घर आने से वो और बेटा भी पाॅजिटव हो जाएंगे. दोनों की मौत हो सकती है. इसलिए, मुनमुन ने अपने पति सुजान की घर में एंट्री बंद कर दी थी. पत्नी के इस निर्णय से सुजान पास में किराए पर अलग रहने लगा. इस तरह तीन साल में सुजान ने अपने बेटे का मुंह नहीं देखा और ना ही पत्नी मुनमुन से मिला. सिर्फ फोन पर दोनों की बात होती थी. तीन साल से मां और मासूम मकान में कैद थे. इस पर सुजान माझी ने पुलिस से गुहार लगाई तो पुलिस और बाल कल्याण समिति ने मासूम को घर की कैद से बाहर किया. दोनों का उपचार चल रहा है.
04:50 PM
बात 2020 की है. जब चीन से निकल कर कोरोना दुनिया के तमाम देशों में अपने पैर पसार चुका था. इसमें भारत भी शामिल था. कोरोना संक्रमण की वजह से पहली बार लाॅकडाउन लगा गया. ऐसे में पेशे से इंजीनियर सुजान माझी और उसका परिवार ने भी लाॅकडाउन का पालन किया. जब पहले लॉकडाउन के बाद सरकार ने प्रतिबंध कम किए. इस पर सुजान माझी भी एक दिन घर से काम करने गए. जब वह घर लौटे तो पत्नी मुनमुन ने उसे घर में घुसने की अनुमति नहीं दी. इस पर सुजान ने पास में किराए पर मकान ले लिया. और वहां पर रहकर काम पर जाने लगा. इस दौरान मुनमुन भी सुझान माझी से नहीं मिली. उसने सुजान को बच्चे से भी मिलने नहीं दिया. समय बीतता गया और अब तीन साल हो गए. मगर, मुनमुन अभी सुजान से दूरी बनाए हुए खुद को मकान में कैद करके रखी थी.
पत्नी और बेटे की चाह में लगाई गुहार
बाल कल्याण समिति की सदस्य उषा सोलंकी बताती हैं कि, एक दिन एक शिकायत मिली थी कि, एक मां और उसका मासूम बच्चा तीन से मकान में कैद हैं. दोनों कोरोना से डरे हुए हैं. इस पर शिकायत करने वाले पति सुजान माझी को सलाह दी कि, पुलिस और जिला प्रशासन से शिकायत करें. इस पर उसने पुलिस और प्रशासन से गुहार लगाई थी. इसके बाद बीते मंगलवार को स्वास्थ्य और बाल कल्याण विकास अधिकारियों की एक टीम ने मुनमुन और उसके 10 साल के बच्चे को घर से बाहर निकाला है.
पुलिस ने दरवाजा तोडकर किया कैद से मुक्त
गुरुग्राम की चक्करपुर पुलिस चौकी के एसआई प्रवीण कुमार का कहना है कि, सुजान ने मुझे वीडियो कॉल करके अपने बच्चे और पत्नी से बात करवाई. बच्चे से बात करने के बाद मैं थोड़ा बेचैन हुआ. क्योंकि, वो तीन साल से धूप में नहीं निकला था. इस पर पुलिस ने भी सुजान का साथ दिया और वे स्वास्थ्य विभाग और बाल कल्याण विभाग की टीम के साथ मुनमुन के घर आए. पुलिस ने मुनमुन से दरवाजा खोलने के लिए कई बार अनुरोध किया. जब वह नहीं मानी तो पुलिस को दरवाजा तोड़ना पड़ गया. इसके बाद दोनों को तत्काल उपचार के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया.
मां काटती थी उसके बाल
बाल कल्याण समिति की सदस्य उषा सोलंकी बताती हैं कि, जब मासूम का कहना है कि, मां उसके बाल काटती थी. घर में बाल भी कटे मिले है. घर में इन तीन साल में जो भी सामान आया. उसके रेपर और अन्य सामान यूं ही मिला है. इसलिए, हम कह सकते हैं कि, महिला बेहद डरी हुई थी.