आगरा.
आज विश्व में टीबी के 1.60 करोड़ मरीज हैं. आंकडो में देखें तो एक लाख की आबादी पर 134 मरीज हैं. चैंकाने वाली बात यह है कि, विश्व में टीबी के कुल मरीजों में भारत में 30 फीसदी यानी 30 लाख मरीज हैं. भारत की बात करें तो एक लाख में से 210 मरीज टीबी से पीड़ित हैं. आगरा आए मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज प्रयागराज के डॉ. अमिताभ दास गुप्ता ने बताया कि, डब्ल्यूएचओ (WHO) की 2022 की रिपोर्ट में टीबी के आंकडें बेहद डरावने हैं. जबकि, पीएम मोदी ने सन 2025 तक भारत को टीबी मुक्त देश बनाना है. इस पर सोमवार को डी सेन्ट्रेलाइजेशन ऑफ मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक इन टीबी विषय पर व्याख्यान हुआ.. जिसमें उन्होेंने कहा कि, टीबी की जांचे अब तक जिला केन्द्र में उपलब्ध थीं. जिन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहुंचाया जा रहा है. एमडीआर टीबी की जांच की रिपोर्ट में लगभग 3 माह का समय लगता था. अब आधुनिक मशीनों से एक दिन में हो रही है.
सरकारी मेडिकल कालेज पटियाला पंजाब के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. विशाल चौपड़ा ने कहा कि, भारत में 90 के दशक में एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) टीबी के मरीज लगभग 2.3 फीसदी थे. जिनकी संख्या बढ़कर अब लगभग 21 फीसदी हो गई है. सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं ने टीबी का इलाज मरीजों को फ्री मिल रहा है. लेकिन, सामान्य टीबी के मरीज पर यदि सरकार को इलाज में एक रुपया खर्चना पड़ता है. वहीं, एमडीआर टीबी के मरीजों पर सौ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. रिफेम्पिसिन व आइसोनाइजिड दवाओं के प्रति मरीजों में प्रतिरोधकता बढ रही है. वजह कुछ माह दवा लेकर स्वस्थ महसूस लगने पर मरीज इलाज बीच में छोड़ देते हैं. जिससे दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता पैदा हो जाती है और इलाज महंगा व रोग जटिल हो जाता है.
सीओपीडी है तो हृदय का रखें खास ख्याल
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस बीएचयू के डाॅ. मोहित भाटिया ने व्याख्यान सीओपीडी में मरीज के दिल पर पड़ने वाले प्रभाव में कहा कि, सीओपीडी (क्रोनिक, एब्स्ट्रेक्टिव पल्मोननरी डिजीज) के मरीजों को अपने हृदय का खास ख्याल रखना चाहिए. क्योंकि, ध्रूमपान से होने वाली सीओपीडी और हदय रोग दोनों के रिस्क फैक्टर समान होने के साथ सीओपीडी की कुछ दवाओं का हदय पर साइड इफेक्ट भी रहता है. सीओपीडी के मरीजों में हृदय तक पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन न पहुंचने के कारण पल्मोनरी आर्टरी पर भी दबाब बढ़ने से हृदय पर भी असर पड़ता है. सीओपीडी में थोड़ा चलने फिरने पर सांस फूलने लगती है. जिससे व्यक्ति का धूमना फिरना कम होने से भी हृदय पर प्रतिकूल असर पड़ता है. यदि आप सीओपीडी से पीड़ित ध्रूमपान से तौबा करके अपने हृदय का भी खास खयाल रखें.
आठ वर्कशॉप में 300 विशेषज्ञों ने लिया प्रशिक्षण
आगरा में ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से डिपार्टमेंट ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड रेस्पीरेटरी डिजीज, एसएन मेडिकल कालेज व यूपी टीबी एसोसिएशन एंड द यूनियन साउथ ईस्ट एशिया रीजन के सहयोग से तीन दिवसीय नेटकॉन 2022 यानी 77वीं नेशनल कांफ्रेंस ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड चेस्ट डिजीज में आज आठ वर्कशॉप आयोजित हुई. आयोजन सचिव डाॅ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि, सोमवार को एसएन मेडिकल कालेज, टीबी ट्रेनिंग एंड डिमोन्सट्रेशन सेंटर और होटल जेपी में ब्रांकोस्कोपी, एडवांस ब्रोंकोस्कोपी, एडवांस पीएफटी, स्लीप मेडिसन वर्कशॉप, एलर्जी अस्थमा इम्यूनोलॉजी, चेस्ट का अल्ट्रासाउंड, एमडीआर टीबी पल्मोनरी रीबैहलीटेशन विषय पर वर्कशॉप हुई. जिसमें देश भर के लगभग 300 विशेषज्ञों ने ट्रेनिंग ली.