नई दिल्ली.
डायबिटीज रोगियों के लिए मीठा यानी जहर है. यह डायबिटीज के मरीजों की जान का दुश्मन है. डॉक्टर्स इसलिए डायबटिक (Diabetic) मरीजों को मीठी चीजों से परहेज करने की सलाह देते हैं. लेकिन, अब डायबिटीज के रोगियों के लिए ‘मोंक फ्रूट’ (Monk fruit) मीठे का बढ़िया विकल्प बन रहा है. जिसे अमेरिका के दवा प्रशासन ने सही माना है. अब भारत में भी ‘मोंक फ्रूट’ (Monk fruit) की खेती भी शुरू हो गई है.

बता दें कि, मोंक फ्रूट (Monk fruit) वैसे तो चीनी से 300 गुना मीठा है. लेकिन, इसके सेवन से रक्त में शर्करा नहीं बढ़ाता है. इसी वजह से मधुमेह रोगियों के लिए मोंक फ्रूट नुकसानदायक नहीं है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि, मोंक फ्रूट में कैलोरी नहीं होती है. ऐसे में देश के करीब नौ करोड़ डायबिटीज मरीजों के लिए यह मीठा के रूप में नया और सुरक्षित विकल्प है.
हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई खेती
बता दें कि, भारत में अब तक मोंक फ्रूट की खेती नहीं होती थी. लेकिन, इसकी डिमांड और गुणों को देखकर विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय की पालमपुर स्थित प्रयोगशाला सीएसआईआर इंस्टीट्ययूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स एंड टेक्नोलॉजी आईएचबीटी (CSIR Institute of Himalayan Bioresources and Technology ) ने हिमाचल के पालमपुर, चंबा और कुल्लू में मोंक फ्रूट की खेती शुरू कराई है.
ट्रायल के बाद सात गांव में खेती
इस बारे में हाल में सेवानिवृत्त हुए आईएचबीटी (IHBT) संस्थान के निदेशक डाॅ. संजय कुमार बताते हैं कि, मोंक फ्रूट के पौधों को एक समझौते के तहत चीन से मंगाया गया था. जिस पर प्रयोगशाला में तीन साल तक फील्ड ट्रायल किए गए. जब ट्रायल पूरी तरह से सफल रहे तो पहले चरण में पालमपुर के साथ साथ कुल्लू और चंबा के गांवों में सात स्थानों पर किसानों से इसकी खेती कराई जा रही है.
मेरिकी दवा प्रशासन ने माना सुरक्षित
आईएचबीटी संस्थान के पूर्व निदेशक डाॅ. संजय कुमार बताते हैं कि, ‘मोंक फ्रूट’ में मोग्रोसाइड्स (Mogrosides) नामक यौगिक होता है. जिसकी वजह से ही इसकी तीव्र मिठास होती है. अब तक जितने भी अध्ययन हुए हैं. उन सभी में मधुमेह रोगियों के लिए मोंक फ्रूट सुरक्षित पाया गया है. मोंक फ्रूट को लेकर अमेरिकी दवा प्रशासन ने भी डायबिटीज के रोगियों को इसके सेवन की हरी झंडी दे रखी है.
पौधा छह महीने में फल देना शुरू करता है
आईएचबीटी संस्थान के पूर्व निदेशक डाॅ. संजय कुमार बताते हैं कि, ‘मोंक फ्रूट’ का पौधा छह महीने में फल देना शुरू करता है. मोंक फ्रूट का पेड़ पांच साल तक फल देता है. छिलके को हटाकर इसका रस निकाला जाता है. बाद में पाउडर बनाकर प्राकृतिक मिठास के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. फ्रूट पाउडर 30 हजार रुपये प्रति किलो बिकता है. इस तरह मोंक फ्रूट की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर प्रति फसल 3 से 4 लाख रुपये कमा सकेंगे.