Fake Medicine: आगरा पुलिस और औषधि विभाग की कार्रवाई में पशुओं की नकली दवाएं बनाने की दो अवैध फैक्ट्री सीज की गई हैं. जहां पर बनी दवाओं की कीमत विदेशी करेंसी के आधार पर तय होती थी. नकली दवाइयों की कीमत डिस्ट्रीब्यूटर तय करते थे.
आगरा, उत्तर प्रदेश
Fake Medicine: उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस ने सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव लखनपुर में जीजा-साला की पशुओं की नकली दवाएं (Fake Medicine) बनाने वाली अवैध दो फैक्ट्री (Illegal Facotry) का पर्दाफाश किया था. पुलिस ने इस मामले में फैक्ट्री संचालक जीजा साला के साथ चार लोगों को दबोचा है. पूछताछ में आरोपियों ने चौंकाने वाले खुलासा किए हैं. ऑनलाइन आर्डर (Online Orders) पर विदेशों में सप्लाई की जाती थी. जो मुंबई के डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से भेजी जाती थीं. आगरा में दोनों ही फैक्ट्री से बनने वाली नकली दवाएं बाजार में 10 गुना अधिक दाम पर खपाई जाती थीं. दवाओं पर जो मूल्य नहीं लिखा है. ये मूल्य डिस्ट्रीब्यूटर ही तय करते थे. जिससे ही दोनों ही 2 साल में करोड़ की कमाई की है.
औषधि विभाग ने पशुओं की नकली दवा बनाने वाली दोनों फैक्ट्रियों में 48 घंटे तक छानबीन की. जिसमें करीब 4.5 करोड़ रुपए की अवैध व नकली दवाएं मिली हैं. जहां से औषधि विभाग ने आरोपी जीजा और साला की फैक्ट्रियों में 434 तरह की दवाएं मिली हैं. जिनके सैंपल जांच के लिए गए हैं. जिनकी जांच कराई जाएगी.

Fake Medicine: 4.50 करोड़ रुपये से अधिक का माल, मशीनरी बरामद (Goods and machinery worth more than Rs 4.50 crore recovered)
बता दें कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट की सर्विलांस और एसओजी की निशानदेही पर सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव लखनपुर में मंगलवार रात को पुलिस ने छापा मारा था. जहां एक फैक्ट्री तो बंद मैरिज होम चल रही थी तो दूसरी एक मकान में संचालित हो रही थीं. जहां पर पशुओं की नकली दवाएं बनाकर खपाई जा रही थीं. पुलिस ने दोनों फैक्ट्री से करीब 4.50 करोड़ रुपये से अधिक का माल, मशीनरी बरामद किया था. इसके साथ ही सिकंदरा थाना पुलिस ने विभव वाटिका, दयालबाग निवासी फैक्ट्री संचालक अश्वनी गुप्ता, उसकी पत्नी निधि, नरसी विलेस राज दरबार कॉलोनी निवासी फैक्ट्री संचालक साैरभ दुबे और मैनेजर उस्मान पकड़ा था.
Fake Medicine: 100 रुपये की दवाएं 1100 रुपये में बिचती थी
डीसीपी सिटी (DCP City Agra Suraj Rai) सूरज राय ने बताया कि अवैध फैक्ट्री संचालक अश्वनी गुप्ता और साैरभ दुबे रिश्ते में जीजा साले हैं. दोनों ने पूछताछ में खुलासा किया था कि दोनों ही फैक्टट्री में कोई विशेषज्ञ नहीं है. फैक्ट्री लाइसेंस भी आगरा का नही है. जीजा-साले ने फैक्ट्री पहले साझे में खोली थी. विवाद होने पर दोनों अलग हो गए. दोनों ही जगह पर दवाएं पशुओं की ही बनती थीं. यहां पर 90 से 100 रुपये की लागत एक दवा बनती है. जो बाजार में मूल्य 1100 रुपये में बेची जाती थी. औषधि विभाग की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. दोनों ने पूछताछ में बताया कि नकली दवाएं बनने के लिए दिल्ली से मशीनें खरीदी थीं. इसके साथ ही दिल्ली और मुम्बई से रॉ मेटेरियल मंगवाकर दवाएं बनाते थे.

Fake Medicine: अफगानिस्तान, अफ्रीका में आपूर्ति करते थे
डीसीपी सिटी (DCP City Suraj Rai) सूरज राय ने बताया कि अवैध फैक्ट्री संचालक अश्वनी गुप्ता और साैरभ दुबे ने बताया कि पशुओं की एंटीबॉयोटिक, पशुओं में पेट के कीड़े मारने वाली कुंच आक्जल प्लस, दर्द व बुखार में दी जाने वाली लंदन डेकस्टार और पेट की समस्या के लिए ब्लोटासैक गोल्ड नाम की 3 नकली दवाएं भी फैक्टरियों से बरामद की गई हैं. कुंच आक्जल प्लस पर 25 रुपये, लंदन डेकस्टार पर 24 रुपये और ब्लोटासैक गोल्ड 100 मिलीलीटर पर 28 रुपये व 500 मिलीलीटर पर 75 रुपये खर्च आता था. यह अफगानिस्तान और अफ्रीकी देश अंगोला भेजी जाती थीं.
Fake Medicine: साझेदारी में खोली फैक्ट्री, फिर विवाद (Factory opened in partnership, then dispute)
औषधि विभाग के सहायक आयुक्त (Assistant Commissioner of Drugs Department Atul Upadhyay) अतुल उपाध्याय ने बताया कि अवैध फैक्ट्री संचालक अश्वनी गुप्ता और साैरभ दुबे से पूछताछ में कई बातें सामने आईं हैं. सौरभ दुबे एमबीए पास है. जो पशुओं की दवा फैक्ट्री में काम करता था. उसने दवा बनाने की जानकारी ली और जीजा के साथ 2023 में अवैध फैक्ट्री खोली थी. अश्वनी गुप्ता ने डेढ़ साल पहले औषधि विभाग को गोदाम का लाइसेंस लेने के लिए जगह का निरीक्षण कराया था. मगर, बिना लाइसेंस के फैक्ट्री खोली थी.
Fake Medicine: 434 तरह की दवाएं बनते थे जीजा साले
औषधि विभाग के सहायक आयुक्त (Assistant Commissioner of Drugs Department Atul Upadhyay) अतुल उपाध्याय ने बताया कि दोनों फैक्ट्रियों में दवाओं की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि आगरा, अलीगढ़ और कानपुर मंडल के 7 जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर बुलाए गए. दवाओं के बैच नंबर, मैन्यूफैक्चरर कंपनी आदि रिकॉर्ड को दर्ज किए गए हैं. अश्वनी गु्प्ता की फैक्ट्री से 234 और सौरभ दुबे की फैक्ट्री से 200 तरह की दवाएं मिली हैं. जिससे दोनों फैक्ट्री से जांच के लिए सैंपल लिए गए हैं.