HBNC Program: सर्दी की दस्तक से नवजात और शिशु की केयर बहुत जरूरी है. जिससे सर्दी में नवजात का तापमान सही रखा जाए. शिशु को कंबल से लपेटकर बच्चें. इसमें सबसे कारगर गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल(एचबीएनसी) की जानकारी आशाएं घर घर जाकर दे रही हैं.
आगरा, उत्तर प्रदेश
HBNC Program: यूपी समेत देश के सभी राज्यों में सर्दियों ने दस्तक दे दी है. ऐसे में नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए. नवजात के शरीर के तापमान पर जरूर नजर बनाए रखें. तापमान कम होने पर स्थिति में गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल(The Home Based Newborn Care) काफी कारगर है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नवजात शिशुओं के देखभाल HBNC Program से की जाती है. जिसकी आशा वर्कर्स घर-घर जाकर करके नवजात की मां और परिवार के सदस्यों को एचबीएनसी (HBNC Program) का प्रशिक्षण दिया जाता है. यह प्रशिक्षण सर्दी के मौसम में काफी कारगर साबित होता है. गृह भ्रमण के दौरान मां और बच्चे के स्वस्थ से संबंधी जानकारी प्राप्त करती हैं. बच्चों को हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए मां किस तरह से बच्चे को कंबल में लपेट कर पेट से लगाकर गर्माहट देने हैं. इस का अभ्यास भी कराती हैं.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief Medical Officer Dr. Arun Srivastava) डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जन्म के बाद नवजात व शिशु (Newborn And Baby) गर्म रखना बहुत जरूरी है. जन्म के समय और अपने जीवन के पहले दिन शिशु के शरीर के लिए अपने शरीर का तापमान ( Temperature) बनाए रखना कठिन होता है. जन्म के समय वह गीले होते हैं. उनके शरीर का तापमान तेजी से घटता है. यदि उन्हें ठंड लग जाए तो वह अपनी ऊर्जा का प्रयोग गर्म रखने के लिए करते हैं. बीमार हो जाते हैं.

HBNC Program: हाइपोथर्मिया बेहद खतरनाक (Hypothermia is very dangerous)
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सर्दी में नवजात और शिशु की केयर बेहद जरूरी है.ऐसे शिशु जिनका वजन जन्म के समय कम है. जो प्री मैच्योर बेबी हैं. ऐसे शिशुओं में ठंड लगने का खतरा अधिक होता है. नवजात के माता-पिता के सचेत रहने से ही बच्चे को हाइपोथर्मिया (सामान्य ठंडा) से बचाने में कामयाब हो सकते हैं.
HBNC Program : यूनिसेफ देता है आशा वर्कर्स व आशा संगिनी को ट्रेनिंग
एसीएमओ आरसीएच डॉ संजीव वर्मन ने बताया कि बच्चे का तापमान 97 या 98 होने पर सामान्य है. अगर बच्चे का तापमान 97 से कम है तो बच्चा हाइपोथर्मिया की चपेट में आने लगता है. जब किसी बच्चे का तापमान 95 से कम हो जाए तो उसे स्वास्थ्य इकाई पर रेफर किया जाता है. अभिभावकों को हाइपोथर्मिया की सही जानकारी से हम सभी बच्चों को हाइपोथर्मिया होने से बचा सकते हैं. जिसके लिए आशा वकर्स घर घर जाकर अभिभावकों को बच्चे को ठंड से बचाव के तरीके बत रही हैं. हाइपोथर्मिया (सामान्य ठंडा) की चपेट से बचाने के लिए यूनिसेफ संस्था ने आशा वर्कर्स और आशा संगिनी को समय-समय पर टेक्निकल सहयोग के माध्यम से क्षमता वर्धन किया जाता है.

HBNC Program: बेबी केयर में तापमान पर विशेष ध्यान दें (special attention to temperature in baby care)
नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा बताती हैं कि जन्म के समय शिशु का तापमान 97.7 डिग्री फरेनहाइट (36.5 डिग्री सेल्सियस) है तो ये तापमान सामान्य है. यदि उसे अच्छी तरह सुखाया या ढका न जाए तो उसके शरीर का तापमान 95 डिग्री फरेनहाइट (35.0 डिग्री सेल्सियस) हो जाएगा. जो सामान्य से कम है. डॉ. मेघना शर्मा बताती हैं कि अधिकांश नवजात शिशु के शरीर की गर्मी जन्म के बाद पहले मिनट में कम हो जाती है. शिशु के शरीर का तापमान सामान्य कम हो जाए. उसे हाइपोथर्मिया ( सामान्य ठंडा ) कहा जाता है.
घर घर जाकर महिलाओं समझा रही ट्रिक्स (Going from house to house, explaining tricks to women)
आशा वर्कर मुंदरा बताती हैं कि यदि क्षेत्र में नवजात पैदा होने पर घर जाकर उनकी मां और परिवार के सदस्यों को कंबल लपेटकर नवजात को गर्म रखने, नवजात की साफ-सफाई रखने, उसे सही तरीके से स्तनपान कराने, बच्चे को छूने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोने का बताती हूं. इसके साथ ही नवजात का टीकाकरण समय से कराने के बारे में भी जानकारी देती हैं. नगला हरनोखा निवासी 22 वर्षीय अंजली बताती हैं कि मेरी चार माह पहले ही संस्थागत डिलेवरी हुई थी. हाल में मेरे शिशु को सर्दी लग गई. आशा दीदी ने मुझे बच्चे को कंबल से लपेट रखकर तापमान नियंत्रित की जानकारी दी. अगले दिन सुबह मैंने शिशु स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर को दिखाया. अब मेरा बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है.
HBNC Program: शिशु को यूं दं गर्माहट
- कमरे का तापमान बढ़ाएं.
- गीले या ठंडे कम्बल और कपड़े हटा दें.
- शिशु को मां के शरीर से सटाकर लिटाएं. जिससे शिशु में गर्माहट आएगी.
- शिशु को कपड़े और टोपी पहनाएं.
HBNC Program का मुख्य उद्देश्य
नियमित निगरानी: आशा वर्कर नवजात शिशु के जन्म के बाद नियमित अंतराल पर घर पर जाकर उसकी स्थिति की जांच करना.
टीकाकरण: समय पर टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए परिवारों को जागरूक करना.
स्तनपान: माताओं को स्तनपान की महत्वता और सही तरीके के बारे में जानकारी देना.
स्वच्छता: नवजात शिशु और माँ की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना.
शारीरिक जांच: शिशु के वजन, तापमान, और अन्य शारीरिक स्थिति की नियमित जांच करना.
परिवार की भूमिका: परिवार को नवजात शिशु की देखभाल में उनकी भूमिका के प्रति जागरूक करना.