National Newborn Week 2024: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डाॅ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला हुई. जिसमें विशेषज्ञों ने अनुभव शेयर किए. बेस्ट बेबी केयर के टिप्स भी दिए.
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
National Newborn Week 2024: सावधान! काजल (kajal) लगाने से बच्चों को आंख बड़ी नहीं होती है. बल्कि, आंखों का संक्रमण (eye infection) होने का खतरा रहता है. जिसका असर आंखों की रोशनी पर पड़ सकता है. इससे धीरे-धीरे बच्चे की नजर भी कमजोर हो सकती है. यह चौंकाने वाली जानकारी लोहिया संस्थान में बाल रोग विभाग की (Head of the Department of Pediatrics at Lohia Institute) अध्यक्ष डॉ. दीप्ति अग्रवाल ने दी. उन्होंने सोमवार को संस्थान के प्रेक्षाग्रृह में प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण विषय (National Newborn Week 2024) पर दो दिवसीय कार्यशाला से जानकारी दीं.
National Newborn Week 2024 में मौजूद विशेषज्ञ. (Photo Credit : mobycapsule.com )

National Newborn Week 2024: काजल और पाउडर लगाने से करें परहेज (Avoid applying kajal and powder)
डॉ. दीप्ति अग्रवाल (Dr. Deepti Agarwal) ने बताया कि शिशुओं को काजल ना लगाएं. क्योंकि, काजल में नुकसानदेह तत्व होते हैं. जो मासूम की नाजुक आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं. शिशुओं की नाभि में माताएं तेल या पाउडर आदि लगाती हैं. यह भी नुकसानदेह है. नाभि को सूखा रखें. जिससे हम काफी हद तक अपने नवजात को संक्रमण से बचा सकते हैं. बच्चे को ऊनी कपड़ों के नीचे सूती कपड़ों की एक परत जरूर पहनाएं. मालिश के स्थान पर हल्के हाथों से तेल लगाएं. केजीएमयू बाल रोग विभाग के डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि नवजात शिशुओं की सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है. शिशुओं की आरामदायक नींद के लिए उसे कम रोशनी रखें. कमरे में शोर भी कम हो. इसके साथ ही त्वचा की त्वचा का संपर्क सुरक्षित नींद को बढ़ावा देता है.

National Newborn Week 2024: बेबी भूखा होने पर देता है संकेत (Baby gives signals when it is hungry)
डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि नवजात शिशु में दर्द और तनाव के संकेतों को पहचानना बेहद महत्वपूर्ण है. यदि नवजात शिशु भूखा है तो वो अपने हाथ से मुंह दबाता है. शिशु के अकेले आरामदायक होने पर कंबल लपेटना, उंगली और पैर दबाना नवजात का स्व-नियामक व्यवहार है. जिसे समझना आवश्यक है. इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि प्रशिक्षण के माड्यूल की सफलता तभी संभव है. जब नर्सिग संवर्ग का भी पूर्णत योगदान दें. क्योंकि, वे चिकित्सक एवं अभिभावकों के बीच पुल की तरह काम करती हैं. जिनका काम बच्चों की सेवा एवं ध्यान रखना होता है. इस कार्यक्रम में केजीएमयू बाल रोग विभाग के डॉ. एसएन सिंह, लोहिया संस्थान के डीन डॉ. प्रद्ययुमन सिंह, एनएचएम की निदेशक पिंकी जोवेल, डॉ. रतन पाल सिंह समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.
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