RSSDI UPCON 2025 आयोजन के साइंटिफिक सचिव डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि पिछले एक वर्ष में काफी मेहनत से उच्च स्तरीय साइंटिफिक प्रोग्राम तैयार किया है. जिसे सुनने के लिए यूपी डॉक्टर्स आगरा में आए हैं. अधिवेशन के आयोजन अध्यक्ष डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ हैं और संरक्षक प्रोफेसर एके गुप्ता और प्रोफेसर डीके हाजरा हैं.
आगरा, उत्तर प्रदेश.
RSSDI UPCON 2025: उत्तर प्रदेश के आगरा में फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया (Research Society for Study of Diabetes in India) के यूपी संस्करण का वार्षिक अधिवेशन (RSSDI UPCON 2025) चल रहा है. दो दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन शनिवार को देशभर से 500 से अधिक स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स आए हैं. जो भारत को इंडिया को डायबिटीज कैपिटल बनने से कैसे रोका जाए. नई दवाएं, डायबिटीज के कारण और उपचार पर मंथन किया जा रहा है. पहले दिन अधिवेशन में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ने डायबिटीज के तेजी बढने के कारण, नए उपचार सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई.
RSSDI UPCON 2025 के आयोजन सचिव प्रोफेसर प्रभात अग्रवाल ने बताया कि ये 14 वां अधिवेशन है. जिसमें देशभर से 500 डॉक्टर शामिल हो रहे हैं. जिसमें 55 स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स भी शामिल हैं. जो यहां पर डायबिटीज की नई दवाओं और उपचार पर मंथन कर रहे हैं. जिससे देश में जिस तरह से डायबिटीज बढ रहा है. उसे रोका जा सके. यदि हम भारत की बात करें तो डायबिटीज से ज्यादा तो देश में प्री डायबिटिक मरीज हैं. जो एक बडी समस्या हैं.
RSSDI UPCON 2025 के आयोजन सचिव प्रोफेसर प्रभात अग्रवाल ने बताया कि प्री डायबिटिक मरीजों को डायबिटीज से रोकना है. जो लोग प्री डायबिटीज हैं, वो अगले 10 सालों में डायबिटिक हो जाएंगे. प्रदेश में डायबिटिक मरीजों से तीन गुना ज्यादा प्री डायबिटीज मरीज हैं. देश में अगर 15 प्रतिशत मरीज हैं तो सिर्फ यूपी में 18 प्रतिशत मरीज हैं. डॉ. प्रताप अग्रवाल ने बताया कि लाइफस्टाइल सुधारने की जरूरत है. मोटापा डायबिटीज का मुख्य कारण है. अधिवेशन में पोस्ट ग्रेजुएट छात्र भी अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत कर रहे हैं. पोस्ट ग्रेजुएट के रिसर्च पेपर का आंकलन डॉ. सूर्य कमल और डॉ. अजीत चाहर कर रहे हैं.
RSSDI UPCON 2025: कुंभ में भी लगाया है कैंप (Camp has also been set up in Kumbh_
अविधवेशन में आए RSSDI के प्रेसीडेंट इलेक्ट डॉ. अनुज माहेश्वरी ने बताया कि महाकुंभ में डायबिटिीज के मरीजों के लिए कैंप लगाया गया है. जिसमें हर रोज 500-600 लोगों की जांचें की जा रही हैं. इसमें हमारा पूरा फोकस ऐसे लोगों तक है. जो अपनी जांचें ही नहीं कराते हैं. जैसे नागा साधु और अन्य साधुओं की भी जांचें बहुत कम होती हैं. ये कैंप 26 मार्च तक चलेगा. जिसके बाद एक रिपोर्ट तैयार होगी. जिसके आधार पर निष्कर्ष निकाला जाएगा.