Research: आईआईटी इंदौर की एक रिसर्च में कोरोना और साइलेंट हार्ट अटैक के कनेक्शन का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. शोध में दावा किया गया है कि साइलेंट हार्ट अटैक व थाइराइड जैसी समस्याएं की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट है.
इंदौर, मध्य प्रदेश.
Research: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर के एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. शोध (Research) में पता चला है कि साइलेंट हार्ट अटैक व थाइराइड जैसी समस्याएं की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट है. यह चौंकाने वाली बात है. यह शोध भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से आईआईटी इंदौर ने किया है. जो जर्नल आफ प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित हुआ है. रिसर्च में बताया गया कि कोविड के विभिन्न वैरिएंट ने मानव शरीर को किस तरह से प्रभावित किया. इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कोविड-19 किस प्रकार जटिलताएं पैदा करता है. इससे भविष्य में कैसे बेहतर निदान और उपचार की दिशा में कार्य किया जा सके.
बता दें कि कोरोना महामारी का दंश पूरी दुनिया ने झेला है. 2020 में कोरोना की वजह से हाहाकार मचा था. कोरोना को लेकर किए गए शोध में कोविड-19 के वाइल्ड टाइप (मूल वैरिएंट), अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा से जुड़े प्रमुख बायोकेमिकल, हेमेटोलाजिकल, लिपिडोमिक और मेटाबोलोमिक परिवर्तनों का अध्ययन (Research) किया गया है. रिसर्च में देश में कोरोना की पहली व दूसरी लहर के 3,134 मरीजों का डाटा शामिल किया गया.

इन प्रोफेसर के नेतृत्व और मार्गदर्शन में रिसर्च (Research under the leadership and guidance of these professors)
रिसर्च का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के डॉ. हेमचंद्र झा व केआइएमएस भुवनेश्वर के डॉ. निर्मल मोहकुद ने किया. रिसर्च में रोगी के डाटा का विश्लेषण आईआईटी प्रयागराज की प्रोफेसर सोनाली अग्रवाल के मार्गदर्शन में किया गया. जिसमें फेफड़े का भी अध्ययन किया गया है. रिसर्चर ने वायरस के प्रभाव को समझने के लिए मरीजों के डाटा के अलावा स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में आने वाले फेफड़े और कोलन कोशिकाओं का भी अध्ययन किया. जिसमें पाया गया डेल्टा वैरिएंट से शरीर के रासायनिक संतुलन में सबसे महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न हुआ है. इसने कैटेकोलामाइन और थायराइड हार्मोन उत्पादन से संबंधित मार्गों को प्रभावित किया है. जिससे साइलेंट हार्ट फेलियर और थायराइड जैसी समस्याएं हुई हैं.

कोरोना प्रबंधन और उपचार के लिए महत्वपूर्ण रिसर्च
आईआईटी इंदौर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमचंद्र झा ने बताया कि रिसर्च में कोविड-19 के विभिन्न वैरिएंट ने शरीर को किस तरह से प्रभावित किया. यह देखा गया. इसमें डेल्टा वैरिएंट ने मेटाबालिज्म और हार्मोनल मागों में बड़े व्यवधान पैदा किए. यह रिसर्च लंबे समय तक रहने वाले कोविड लक्षणों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के साथ ही सटीक निदान और उपचार विकसित करने में मदद कर सकता है. आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास एस जोशी ने बताया कि रिसर्च से कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभाव को समझना बेहतर स्वास्थ्य सेवा और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है.