Next Generation Sequencing: आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग पर कार्यशाला हुई. जिसमें विशेषज्ञ जुटे. आइए, एनजीएस के बारे में जानते हैं.
आगरा, उत्तर प्रदेश.
Next Generation Sequencing: नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग ऐसी तकनीकी है, जिससे डीएनए और आरएनए का विश्लेषण करके रोग की जड़ तक पहुंचा जा सकता है. यह सीक्वेंसिंग को तेजी और सटीकता के साथ अंजाम देती है. आगरा के एसएनएमसी में Next Generation Sequencing पर सोमवार को कार्यशाला हुई. जिसमें चार जिलों के डॉक्टर और तकनीशियनों को नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग तकनीकी का प्रशिक्षण दिया गया.

कार्यशाला की आयोजन सचिव डॉ. आरती अग्रवाल ने बताया कि एनजीएस तकनीकी (Next Generation Sequencing) से जीनिक विश्लेषण और डायग्नोस्टिक के क्षेत्र में मजबूत और सटीक नतीजे सामने आते हैं. इसका प्रयोग शोध के साथ क्लीनिकल प्रैक्टिस में किया जा सकता है. कार्यशाला का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने किया. एमआरयू विभाग में आगरा में आयोजित कार्यशाला में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा और कन्नौज जिला अस्पतालों की फैकल्टी, जूनियर रेजीडेंट, सीनियर रेजीडेंट और लैब तकनीशियन को प्रशिक्षण दिया गया.
नेक्स्ट‑जनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS) कौन‑सी बीमारियों में काम आता है?
कैंसर (Cancer), दुर्लभ एवं आनुवंशिक बीमारियाँ (Rare & Genetic Diseases), संक्रामक रोग (Infectious Diseases), तंत्रिका रोग (Neurological & Neurodegenerative Diseases), स्वचालित प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance), फार्माको–जेनेटिक्स और ड्रग विकास.
यह रहे मौजूद
कार्यशाला में सीनियर तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार ने ‘क्लीनिकल और अनुसंधान में नेक्स्ट-जेनरेशन सीक्वेंसिंग की भूमिका’ पर और डॉ. दीप्ति सैनी ने ‘क्लीनिकल और अनुसंधान में जीन विश्लेषक’ पर व्याख्यान दिए. जिसका संचालन डॉ. अखिल प्रताप सिंह, डॉ. नीतू चौहान ने किया. इस अवसर पर डॉ. रेनू अग्रवाल, डॉ. गीतू, डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. प्रभात अग्रवाल, डॉ. रुचिका गर्ग, डॉ. अतिहर्ष अग्रवाल, डॉ. प्रज्ञा शाक्य, डॉ. रिचा गुप्ता मौजूद रहे.