UP DOCTORS SHORTAGE: यूपी में बड़ी संख्या में डॉक्टर्स की कमी है. इसकी वजह यह है कि सेलेक्शन होने पर डॉक्टर्स जॉइन नहीं करते हैं. जिससे ही यूपी का स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है.
लखनऊ, उत्तर प्रदेश.
UP DOCTORS SHORTAGE: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है. यूपी में 19011 स्थायी पदों पर सिर्फ 10500 डॉक्टर ही तैनात हैं. अब स्वास्थ्य विभाग ने 2237 विशेषज्ञ डॉक्टर्स की नियुक्ति के लिए उप्र. लोक सेवा आयोग में रिक्वेस्ट भेजी है. इसके साथ ही इंटरव्यू के माध्यम से 678 पदों के लिए आवेदन भी मांगे हैं. लेकिन, डॉक्टर्स की संख्या पूरी नहीं हो पा रही है. पिछले कई सालों से विभाग इसी में उलझा है.
बता दें कि यूपी के स्वास्थ्य विभाग में हर माह डॉक्टर्स रिटायर हो रहे हैं. जिससे प्रदेश में डॉक्टर्स की संख्या लगातार घट रही है. जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है. क्योंकि, स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत पदों पर डॉक्टर्स की नियुक्ति ग्रेड वन से होती है. जिसमें 3,620 पद के सापेक्ष करीब 5,250 डॉक्टर कार्यरत हैं. ग्रेड वन के डॉक्टर्स के प्रमोशन के बाद पद रिक्त होने की दशा में ही नई नियुक्ति का रास्ता खुलेगा.
50 प्रतिशत डॉक्टर ज्वाइन नहीं करते
प्रदेश में ग्रेड समस्या यहीं खत्म नहीं होती है. इन डॉक्टर्स के प्रमोशन के लिए 7,240 पद वाले ग्रेड टू में पद रिक्त होने चाहिए. जिसमें विभाग की ओर से 3,620 पद विशेषज्ञ डॉक्टर्स के रिजर्व कर दिए हैं. जिन पर सीधे ग्रेड टू में नियुक्ति का प्रावधान किया है. इसी के तहत इस सप्ताह 2237 पदों पर नियुक्ति के लिए मांग पत्र भेजा गया है. हालांकि, अभी तक रिकॉर्ड है कि आयोग की ओर नियुक्ति के बाद 50 प्रतिशत डॉक्टर भी ज्वाइन नहीं करते हैं. ऐसे ही राष्ट्रीय हेल्थ कमीशन (एनएचएम) के तहत रिवर्स बिड (मुंह मांगे वेतन पर प्राइवेट प्रैक्टिसनर्स) के जरिए 1100 पदों के सापेक्ष चयनित होने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर्स का भी है. पांच-पांच लाख रुपये प्रतिमाह वेतन तय होने के बाद भी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. बीते दिनों 1,056 पदों के सापेक्ष 355 विशेषज्ञ डॉक्टरों का चयन हुआ है, मगर अभी तक 10 प्रतिशत डॉक्टरों ने भी ज्वाइनिंग नहीं दी है.
उप्र प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के महासचिव डॉ. अमित सिंह बताते हैं कि डॉक्टर्स को लाने के लिए विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयास उचित नहीं हैं. पांच लाख रुपये में नियुक्त होने वाले डॉक्टर भी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. डॉक्टर्स की कमी दूर करने के लिए नियमावली में संशोधन करना होगा. लेवल वन के डॉक्टरों की संख्या स्वीकृत पदों से ज्यादा है, जबतक ये प्रमोट नहीं होंगे, नए डाक्टरों की नियुक्ति रुकी रहेगी. इस बारे में स्वास्थ्य महानिदेशालय डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि ग्रेड टू के 2237 पदों का अधियाचन भेजा जा चुका है. वॉक इन इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है. विभाग में स्वीकृत पदों के सापेक्ष हम संविदा पर नियुक्ति दे रहे हैं. प्रयास है कि डॉक्टरों की संख्या पूरी हो जाए. चयनित डॉक्टरों के ज्वाइन न करने से स्थिति बिगड़ जाती है.