Research News: मुंबई के वाडिया चिल्ड्रन्स अस्पताल और फिलाडेल्फिया के अमेरिकन कॉलेज के वैज्ञानिकों ने संयुक्त तौर पर एलर्जी पर एक रिसर्च किया है. जिसमें दावा है कि नाक की एलर्जी से भारतीय अधिक जूझ रहे हैं.
नई दिल्ली.
Research News: कहें तो छींक आना, नाक बंद होना आमतौर पर सामान्य सर्दी-जुकाम के तौर पर लक्षण माने जाते हैं. लेकिन, कई बार इसके होने की वजह एलर्जी भी होती है. एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में आधे से ज्यादा लोग नाक संबंधी एलर्जी से पीड़ित हैं. जिसे विज्ञान की भाषा में एलर्जिक राइनाइटिस (एआर) कहते हैं. जिसकी वजह से व्यक्ति के नाक में सूजन होती है. जिससे हर समय नाक बहना, खुजली होना जैसी समस्याएं रहती हैं.
बता दें कि हाल में मुंबई के वाडिया चिल्ड्रन्स अस्पताल और फिलाडेल्फिया के अमेरिकन कॉलेज के वैज्ञानिकों ने संयुक्त तौर पर एक रिसर्च (Research News) जारी की है. जिसमें भारत के 19 राज्यों में मौजूद 40 हजार से अधिक रोगियों को शामिल किया. रिसर्च में 11 से 50 वर्ष से अधिक आयु वाले उन लोगों का डाटा जुटाया गया. जो नाक संबंधी लक्षणों के कारण अस्पताल या क्लीनिक में संपर्क किया था. यह रिसर्च जर्नल ऑफ अस्थमा एंड एलर्जी में प्रकाशित हुआ है.
21 हजार से अधिक लोग पीड़ित
रिसर्च (Research News) में दावा किया जा रहा है कि करीब 53.7 फीसदी लोग एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित थे. जिनकी संख्या करीब 21 हजार से अधिक रही थी. इस एलर्जी में सबसे आम लक्षण लगातार छींक आना था. करीब 69.1 फीसदी लोगों ने बताया कि पूरे साल छींक संबंधी समस्या से जूझते हैं. इसके अलावा नाक बंद होना और सूजन संबंधी समस्या से 87 प्रतिशत लोगों ने जानकारी दी. एलर्जिक महिलाओं और 11 से 40 वर्ष की आयु वालों में अधिक पाया गया.
रिसर्च एक नजर में जानें
● 40 हजार से अधिक मरीजों का जुटाया डाटा गया था.
● जर्नल ऑफ अस्थमा एंड एलर्जी में रिसर्च प्रकाशित हुआ है.
● 73 फीसदी लोग धूल के कण के संपर्क में आने से शिकार हुए.
● 53.7% लोग एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित मिले थे.
जानें क्या है एलर्जिक राइनाइटिस
डॉक्टर्स की मानें तो इसमें एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने पर नाक की झिल्ली में सूजन हो जाती है. इसकी वजह से छींक आना, नाक बहना, खुजली और नाक बंद होना शामिल है. यह समस्या आमतौर पर लोगों को हर समय बनी रहती है.
इनके संपर्क में आने से बढ़ता है ज्यादा खतरा
● घर की धूल में पाए जाने वाले छोटे कण भी प्रभावित कर रहे.
● पालतू जानवरों के बाल के संपर्क में आने से भी नुकसान हो रहा.
● घर में पाई जाने वाली फफूंद से भी नाक में एलर्जी का खतरा.
● इससे पीड़ित पूरे साल छींक संबंधी समस्या से जूझते रहते हैं.