Agra News: 45 से अधिक उम्र होने पर हाईबीपी, डाइबिटीज, डिमेंशिया, हाइपरटेंशन, हार्मोन, श्वास, अस्थमा, न्यूरो और थॉइरॉयड जैसे तमाम बीमारियां तेजी से जकड़ती हैं.
आगरा, उत्तर प्रदेश.
उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस में शुक्रवार देर शाम जीरिएट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया ने सीनियर सिटीजन की सारकोपीडिया (मांसपेशियों की कमजोरी) की नई एडवाइजरी जारी की. जिसमें सीनियर सिटी की हेल्थ केयर, होम केयर, डाइट, ड्रिंक्स और एक्सरसाइज की डिटेल्स हैं. जीरिएट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया के 15 एक्सपर्ट ने सारकोपीडिया की एडवाइजरी तैयार की. जिसमें वृद्धावस्था में क्योर से ज्यादा केयर पर जोर दिया है. जीरिएट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ, जीएसआई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कौशिक रंजन दास, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनील बंसल समेत अन्य एक्सपर्ट ने नई एडवाइजरी के बारे में बताया. एक्सपर्ट का कहना है 45 से अधिक उम्र होने पर हाईबीपी, डाइबिटीज, डिमेंशिया, हाइपरटेंशन, हार्मोन, श्वास, अस्थमा, न्यूरो और थॉइरॉयड जैसे तमाम बीमारियां तेजी से जकड़ती हैं. 60 साल की उम्र तक पहुंचने पर मांसपेशियों की कमजोरी अधिक होती हैं. जिससे ही सीनियर सिटीजन की परेशानी बढती है.
आगरा में जीरिएट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया की 38वीं वार्षिक कार्यशाला आयोजित हो रही है. जो तीन दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस हैं. जिसमें देश और विदेश के 500 से अधिक विशेषज्ञ प्रतिभाग कर रहे हैं. जिसमें वृद्धावस्था की समस्याओं, बीमारियों के कारण और निवारण पर डॉक्टर्स मंथन कर रहे हैं. नेशनल कांफ्रेंस के पहले दिन शुक्रवार देर शाम जीरिएट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया ने वृद्धावस्था में मांसपेसियों की कमजोरी पर नेशनल एडवाइजरी जारी की. नई एडवाइजरी में डे केयर, होम केयर, हॉस्पिटल केयर, ट्रीटमेंट केयर, डाइट और एक्सरसाइज के टिप्स और ट्रिक्स बताए गए हैं.
जीएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि भारत में अब एकल परिवार में बुजुर्गों के लिए जगह नहीं रही है. जिससे ही देश में ओल्ड एज होम की संख्या में इजाफा हो रहा है. वृद्धावस्था की जटिल समस्याओं और बीमारियां ऐसी हैं. जिनसे सीनियर सिटीजन को क्योर करने से ज्यादा उनकी केयर की जरूरत है. क्योंकि, सीनियर सिटीजन में सारकोपीनियां (मासपेशियों की कमजोरी) की वजह से तमाम परेशानी होती हैं. जिसमें सीनियर सिटीजन्स का चलते-चलते गिरना, हाथ से सामान छूटना, सीढ़ी चढ़ने में परेशानी. बाथरूम में फिसलना, टॉयलेट में गिरना समेत अन्य समस्याएं होती हैं. सीनियर सिटीजन में फैक्चर की सबसे बडी वजह सारकोपीनियां से जुडी बीमारियां हैं.
जीएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि डब्ल्यूएचओ व यूएनआई ने 2021-2030 तक 10 वर्ष में सभी देशों के लिए केयर ऑफ एल्डरली पॉप्यूलेशन के लिए गाइड लाइन जारी की है. जिसे हर देश को इसे फॉलो करना है. जिसमें हर देश को अपने सीनियर सिटीजन की बेहतर केयर करनी है. इस दिशा में सरकार के साथ ही एनजीओ को बेहतर काम करना है. जिसमें वृद्धाश्रमों में दवा, पूजा, खाने के अलावा सम्पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर जीएसआई के 15 डॉक्टर्स के टास्क फोर्स ने 6 माह की स्टडी और रिसर्च के बाद नेशनल एडवाइजरी तैयार की है.
जीएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जीएसआई की जारी एडवाइजरी में स्ट्रेचिंग व्यायाम, डाइट और ड्रिंक्स शामिल की हैं. बुजुर्गों की डाइट पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. बुजुर्गों को प्रोटीन रिच डाइट दें. प्रोटीन से मसल्स मजबूत होती हैं. जिससे मसल्स में कमजोरी नहीं आएगी. डाइट में फाइबर लें. डॉक्टर की सलाह पर न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट भी लें. सीनियर सिटीजन रेगुलर एक्सरसाइज करनी चाहिए. देश के ज्यादातर वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों को सिर्फ आराम कराया जाता है. जिससे बुजुर्ग खुद को अकेला और अवसाद में महसूस कर रहे हैं. सीनियर सिटीजन अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ खुद जिम्मेदार बनें. जीएसआई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कौशिक रंजन दास ने बताया कि देश में 60 से अधिक आयु वाले सीनियर सिटीजन की संख्या लगभग 15 करोड़ है. इसलिए, देश में सीनियर सिटीजन की सेहत और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कम से कम 10 हजार जीरिएट्रिक एक्सपर्ट होने चाहिए. मगर, अभी देश में सिर्फ 3-4 हजार ही एक्सपर्ट हैं.
