डॉक्टर्स ने पुलिस को समझाई बेसिक लाइफ सपोर्ट की बारीकियां, जिससे आपातकाल में बचाई जा सकें जिंदगियां
आगरा, उत्तर प्रदेश
Agra News: यातायात माह चल रहा है. इस माह में पुलिस और प्रशासन की ओर से तमाम जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इसमें ही एसएन मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम ने गुरुवार को आगरा पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) का प्रशिक्षण दिया. जिसमें पुलिसकर्मियों को आपात स्थित में कैसे काम करना है. कैसे हादसे के बाद घायलों को प्राथमिक उपचार देना है. इसके साथ ही उनकी मदद करके जान बचा सकते हैं. इस दौरान पुलिसकर्मियों को किन किन बातों का ध्यान रखना है. ये सब बताया और सिखाया भी गया. प्रशिक्षण में हर कोई किसी की जिंदगी बचाने में मदद करे. ये सीख भी दी गई. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि एसएनएमसी के विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीमें ऐसे ही लोगों को ट्रेनिंग देती रहती है. जिससे हादसे के बाद घायलों को प्राथमिक उपचार और उनकी जान बचाई जा सके.
बता दें कि बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) के तीन मुख्य घटक हैं. जो Circulation (रक्त प्रवाह), Airway* (वायुमार्ग) और Breathing (सांस लेना) हैं. जिन्हें ही C-A-B कहते हैं. इस बारे में पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को विस्तार से सिखाया गया. इनका सही तरीके से उपयोग करना बेहद आवश्यक होता है. खासकर जब किसी व्यक्ति को दिल का दौरा या सांस लेने में कठिनाई हो रही हो रही है तो उसकी कैसे मदद करके जान बचाई जा सकती है.
वायुमार्ग (Airway) की देखभाल करना
एसएनएमसी के एनेस्थीसिया विभाग एवं नेल्स ट्रेनर प्रोफेसर डॉ. योगिता द्विवेदी ने सिखाया कि किसी भी आपात स्थिति में वायुमार्ग को कैसे साफ करें. वायुमार्ग को कैसे खुला रख सकते हैं. जिससे व्यक्ति की श्वास प्रक्रिया सामान्य बनी रहे. उसमें खाने का कण या अन्य बाहरी वस्तु गले में फंसें नहीं हैं. यदि ऐसा कुछ है तो उसे हटाने के लिए सही तकनीक का अभ्यास कराया. इसे हेमलिच मैनुवर कहते हैं. जिसमें पेट पर दबाव डालकर फंसी वस्तु को बाहर निकाला जाता है.
सीपीआर (CPR) देना कितना जरूरी
एसएनएमसी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुभव गोयल ने सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) देने का सही तरीका बताया. सर्जरी एवं ACLS ट्रेनर डॉ. अनुभव गोयल ने बताा कि ये एक ऐसी तकनीक है. जिसमें छाती पर दबाव डालकर दिल के दौरे के शिकार व्यक्ति को कृत्रिम श्वास दी जाती है. जिससे उसके शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बना रहता है. उन्होंने सीपीआर देने का सही तरीका, छाती पर दबाव देना, श्वास देना, और क्रमबद्ध तरीके से इस प्रक्रिया का पालन करना सिखाया. समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है.
एईडी (AED) डिवाइस और इसका उपयोग:
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (एईडी) एक स्वचालित उपकरण है. जो दिल की धड़कन को सामान्य करने के लिए बिजली के झटके का उपयोग करता है. इसके बारे में एसएनएमसी के एसोसिएट प्रोफेसर एंड नेल्स ट्रेनर डॉ. सी.पी. गौतम ने बताया कि किस प्रकार इस उपकरण का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करना व्यक्ति की जान बचाने में सहायक हो सकता है. उन्होंने ट्रेनिंग में डिवाइस का उपयोग करने की बारीकियां भी सिखाई गईं.
गोल्डन ऑवर क्या है, इसका कितना महत्व
प्रशिक्षण के दौरान ट्रॉमा और सर्जरी विभाग, रोड सेफ्टी और ट्रॉमा नोडल अधिकारी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. करण रावत ने गोल्डन ऑवर के बारे में बताया. उन्होने बताया कि गोल्डन ऑवर का कितना महत्व है. इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. गोल्डन ऑवर वह महत्वपूर्ण समय है. जिसमें अगर समय पर घायल को उपचार मिल जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. उसे स्थाई क्षति से बचाया जा सकता है. इसके साथ ही ट्रेनिंग में पुलिसकर्मी और अधिकारियों की तमाम शंकाओं का समाधान भी किया गया. जिससे प्रक्रिया को और अच्छे से समझ सकें और आत्मविश्वास के साथ इसका उपयोग कर सके.
ये रहे मौजूद
पुलिस लाइन में आयोजिक कार्यक्रम में एसएन मेडिकल कॉलेज की अनुभवी टीम के साथ टेक्नीशियन में गौरांश शर्मा, पवन कुमार, ईशू, मोनू, कृष्णकांत मौजूद रहे एवं कार्यक्रम में वरिष्ठ ऑर्थोपेडिशियन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आगरा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. डीवी. शर्मा भी उपस्थित रहे.