ब्रिटेन में सात दशक तक राज करने वाली महारानी एजिलाबेथ द्वितीय आज अपना 96वां जन्मदिन मना रही है. वह इतिहास में सबसे लंबे समय तक राजगद्दी संभालने वाली महारानी हैं. यूके में महारानी का जन्मदिन खास बनाने के लिए कई आयोजन हो रहे हैं. महारानी एलिजाबेथ का भारत के साथ रिश्ता बेहतर रहा. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति प्रिंस फिलिप सन 1961, 1983 और 1997 में भारत आए थे. वे शादी में मेहमान बनकर आए. उस समय राष्ट्रपति ने उनका जोशीला स्वागत किया था.

ब्रिटिश शाही परिवार पहली बार आजाद भारत में दौरे 21 जनवरी 1961 में आया. तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनकी दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर अगवानी की थी. महारानी की एक झलक देखने वालों की लाखों लोगों की भीड़ रामलीला मैदान में जुटी थी. महारानी एलिजाबेथ तब भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा भी बनी थी. उन्होंने राजघाट का दौरा करके राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी. उन्होंने
राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन की भी सैर कर थी.

ब्रिटेन का शाही जोड़े ने मोहब्बत की निशानी ताजमहल का दीदार किया था. इसके अलावा तब के बंबई (मुंबई), बनारस (वाराणसी), उदयपुर, जयपुर, बैंगलोर (बेंगलुरु), मद्रास (चेन्नई) और कलकत्ता (कोलकाता) की भी यात्रा पर गए थे. भारतीय रिकॉर्ड के मौजूद फुटेज के मुताबिक भारत के पहले दौरे पर क्वीन एलिजाबेथ को कुतुब मीनार का कलात्मक मॉडल तोहफे में दिया था. जबकि, ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप को चांदी का कैंडल स्टैंड भेंट किया था.

दूसरे दौरे पर महारानी एलिजाबेथ साल 1983 में भारत आई थी. 9 दिन तक दौरे में महारानी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की थी. प्रेसिडेंशियल पैलेस में आयोजित समारोह में मदर टेरेसा को अंग्रेजो के शासन में दिए जाने वाले सिविलियन अवॉर्ड ऑर्डर ऑफ मेरिट से नवाजा था. यह मेरिट उन लोगों को दिया जाता था जोकि साहित्य, कला, आर्ट, विज्ञान और सेना में अच्छा काम करते हैं.
आजादी की 50वीं वर्षगाठ पर आई थी ब्रिटेन की महारानी
क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय का भारत में आखिरी दौरा साल 1997 में हुआ था. वे 13 अक्टूबर को अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ भारत पहुंची थीं. तब उनका स्वागत तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन ने किया था. इसी वर्ष भारत के ब्रिटेन से आजादी के 50 साल पूरे हुए थे. आजादी का स्वर्णिम अवसर जोश और खुशी से मनाया गया. तब ब्रिटेन की महारानी भारत की इस खुशी में शामिल होने पहुंची थी. उन्होंने अमृतसर के जलियांवाला बाग में श्रद्धांजलि अर्पित की थी.