लखनऊ / आगरा.
यूपी में बाल विकास परियोजनाओं को लेकर बुधवार को वेबकास्ट के जरिए समस्त आंगनवाड़ी पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया. जिसमें विशेषज्ञों ने विभाग की सेवाओं, पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपाय, पोषण शिक्षा और प्रभावी स्तनपान कराने की तकनीकी जानकारी दी. आगरा में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र(एनआईसी) में वेबकास्ट…
आगरा में बच्चों की बदली फूड हेविट से उन्हें पेट में दर्द, उल्टी दस्त, अपच, पीलिया, हीमोग्लोबिन कम होना, पेट में अल्सर की शिकायत जैसी अन्य परेशानी सता रही हैं. इसलिए बच्चों को फास्ट-जंक फूड देने से परहेज करें.
हम वजन की बात करें तो यूपी के बच्चे ज्यादा हट्टे-कट्टे हैं. यानी यूपी के बच्चे हेल्दी हैं. उनका वजन सही है. जबकि, यूपी के बच्चों की तुलना में बिहार, झारखण्ड, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों के बच्चों का वजन कम है.
भारत बायोटेक इंटरनेशनल ने जून 2021 से सितंबर 2021 के बीच दो वर्ष से 18 वर्ष आयु के स्वस्थ बच्चों और किशोरों पर इस टीके के दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण किया था.
रिसर्च में दावा है कि, जो लोग घरों पर नेबुलाइजर इस्तेमाल करते हैं. उन्हें नेबुलाइजर की साफ-सफाई और रख-रखाव की सही जानकारी नहीं होती है. इसलिए गंदे नेबुलाइजर का इस्तेमाल मरीजों को लाभ की बजाय उनकी समस्या गंभीर करता है.
बच्चे को यदि दस्त हो रहे हैं तो उसे तत्काल ओआरएस घोल पिलाएं. जिंक की टेबलेट भी दें. जिससे बच्चे में पानी की कमी नहीं होगी. यदि बच्चा ज्यादा परेशान है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर चिकित्सक से परामर्श जरूर लें.
यह खबर हर कपल्स के लिए है. जो मां-बाप बनने का सपना देख रहे हैं या जल्द ही माता-पिता बनने जा रहे हैं. या जिन कपल्स को डॉक्टर ने समय से पहले डिलेवरी से प्रीमैच्योर नवजात की आशंका जताई है. वो अपने प्रीमैच्योर नवजात को कंगारू मदर केयर से ‘संजीवनी’दे सकते हैं.
आगरा.
यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) में रविवार को स्पोर्ट्स इंजरी पर दूसरी कार्यशाला 'घुटने और कंधे' की आर्थोस्कोपी पर होगी. कार्यशाला एएयूपी, एसएन मेडिकल कॉलेज और आगरा ऑर्थोपेडिक सोसाइटी के सहयोग से हो रही है. कार्यशाला एसएन मेडिकल कॉलेज के ऑडिटॉरियम में सुबह दस बजे बजे से शाम पांच…
Tomato Flu Kerala: बच्चों पर कहर ढा रहा टोमैटो फ्लू, जानें एक्सपर्ट ये बता रहे लक्षण और बचाव के उपाय
केरल में बच्चों के हाथों में गहरे लाल रंग के फफोले दिखाई देते हैं. इस बीमारी की चपेट में ज्यादातर 5 साल से छोटे बच्चे हैं. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि, टोमैटो फ्लू से बच्चों को बचाने के लिए उनकी स्वच्छता पर ध्यान दें और उनके हाइड्रेटेड रहने पर ध्यान दें.
गर्मियों के मौसम में इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी की कमी की वजह से डिहाइड्रेशन की प्रॉब्लम होती है. इसलिए गर्मी में खुद के साथ ही बच्चों की डायट पर ध्यान दें. उन्हें हेल्दी व सुपाच्य भोजन के साथ ही खूब पानी पिलाएं. बच्चों के खानपान से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी के लिए mobycapsule.com विजिट करें…
