नई दिल्ली.
देश की महिलाओं में मोटापा, खानपान और खराब जीवनशैली ही रक्तचाप (blood pressure) के लिए जिम्मेदार नहीं है. महिलाओं में बढते ब्लड प्रेशर (blood pressure) की वजह लैंगिक अपराध भी है. जिसमें घरेलू हिंसा, ज्यादा बच्चे पैदा करना भी एक बडा कारण है. इससे भी महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ा…
अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से एक ही छत के नीचे गर्भवती की डिलीवरी, नवजात और प्रसूताओं को बेहतर उपचार मिलेगा.
मां का दूध बच्चों का सर्वोत्तम आहार है. मां के दूध से शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास बेहद तेजी से होता है. इतना ही नहीं, मां का दूध ही शिशु को डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बचाता है.
हर साल एक अगस्त से सात अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. जिसमें महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए जागरुक किया जाता है. इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम समर्थन एवं सहयोग है.
मां के दूध में कैल्शियम के साथ तमाम विटामिन और मिनरल होते हैं. जो नवजात या शिशु के की सेहत के लिए बेहद जरूरी होते हैं. स्तनपान से जहां महिलाओं को मातृत्व की सुखद अनुभूति होती है. तो उनके दूध से शिशु को एंटीबॉडीज मिलती हैं. जो इम्युनिटी बूस्टर होती हैं.
अब जागरुकता से मां और पिता भी किशोरी व युवती की मासिक धर्म की स्वच्छता पर ध्यान देते हैं. इतना ही नहीं, पिता भी अपनी बेटियों की मासिक धर्म स्वच्छता का ध्यान रख रहे हैं.
गर्मी और हीट वेव से यदि आपकी चेहरे की त्वचा झुलस गई है. तो परेशान न हों. सनबर्न की समस्या के समाधान के लिए हम आपको इस आर्टिकल में घरेलू टिप्स बताने जा रहे हैं. जिनसे आप अपने चेहरे की त्वचा पहले जैसी कोमल और चमक वाली बना सकते हैं. इसलिए आर्टिकल पूरा जरूर पढ़ें.
यदि पहली बार आप मां बनने जा रही हैं तो घबराए नहीं. बिना टेस्ट के ही प्रेग्नेंसी के शुरूआती लक्षण समझ सकते हैं. जिससे आप जानकारी के अभाव में कोई गलती नहीं करेंगे. mobycapsule.com ने प्रेग्नेंसी के शुरूआती लक्षण को लेकर आयुर्वेदाचार्य और स्त्री रोग विशेषज्ञों से बात की. जिसके आधार पर यह आर्टिकल तैयार…
Mothers Day 2022: मां और बच्चों का अनमोल रिश्ता है. मां के दूध का कर्ज बच्चा कई नहीं अदा कर सकते हैं. मां की ममता और प्यार निश्वार्थ होता है. मां अपनी संतान की परवरिश में अपना हर सुख त्याग देती है. मां की ममता और प्यार को याद करने के लिए हर साल मई…
सन 1922 में सोवियत संघ ने नेशनल पॉलिसी में कुछ सेक्टर्स में पीरियड लीव देना शुरू कर दिया था. इंडोनेशिया में पीरियड्स लीव की शुरुआत सन 1948 में हुई थी. इसके बाद तमाम देश में महिलाओं का दर्द समझकर पीरियड्स लीव देने का प्रावधान किया है. जिसकी वजह से आज ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस, ब्रिटेन, ताइवान,…