भले ही बेटियां आज जल, थल और नभ में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखा रही हैं. मगर, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) में अजब गजब आंकड़ा सामने आया है. जिससे साफ है कि, आज भी लोगों की सोच नहीं बदल रही है. अधिकतर कपल्स की पहली चाहत घर में बेटे की रहती है.
यूपी, बिहार, राजस्थान के कपल अपने घर बेटे की किलकारी सुनना चाहते हैं. देश में मेघालय एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां की महिलाएं बेटी की चाहत रहखी हैं. इससे साफ है कि, भले ही देश में बेटियां अपने दम में हर क्षेत्र में सफलता का परचम फैला रही हैं. मगर, अभी देश में और सोच बदलने की जरूरत है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की ओर से जो आंकड़े आए हैं. उसमें 15-49 साल तक की उम्र के शादीशुदा कपल शामिल किए गए. जिसमें कपल्स ने माना कि, उन्हें बेटी नहीं, बेटा चाहिए. जिस कपल का एक बेटा है. उसे भी अब बच्चे नहीं चाहिए. वहीं, सर्वे में यह भी बात सामने आई कि, अधिकतर कपल मानने हैं कि, परिवार में एक बेटी का होना बेहद जरूरी है. यह तब है कि, जब केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से तमाम योजनाएं बेटी बचाओ और बेटी पढाओ की चल रही हैं.

हर राज्य के लोगों को चाहिए एक बेटा
NFHS-5 की रिपोर्ट के मुताबिक, 16% शादीशुदा पुरुष और 15% महिलाओं की पहली चाहत बेटा की रहती है. 81% महिला और पुरुष ने यह भी स्वीकारा कि, उनकी प्राथमिकता में कम एक बेटा है. इसके साथ ही 79% महिलाएं की चाहत एक बेटी की. यदि हम मिजोरम की बात करें तो यहां पर 37%, लक्षद्वीप में 34%, मणिपुर में 33% पुरुष और बिहार की 31% महिलाओं की चाहत बेटे की है. लेकिन, देश का एक मात्र मेघालय राज्य ऐसा है. जहां की 21% महिलाओं की चाहत बेटी और 15% महिलाएं अपने घर में बेटा की चाहत रखती हैं.
केरल में सबसे ज्यादा लड़कियां

यदि हम सन 2011 की जनगणना की बात करें तो देश में केरल ऐसा राज्य है. जहां पर सबसे अधिक लड़कियां है. इसके बाद तमिलनाडु और केंद्र शासित राज्य पुदुच्चेरी का नंबर आता है. हरियाणा में सबसे कम 1000 लड़कों में 943 लड़कियां हैं. केंद्र शासित प्रदेश की बात करें तो दमन और दीव में सबसे कम सेक्स अनुपात है. हालांकि, जब 2022 के आर्थिक सर्वेक्षण की बात करें तो लिंगानुपात में सुधार हुआ है. अब भारत में 2019-21 में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई हैं. वहीं, बच्चियों की संख्या 1000 लड़कों पर 929 हो गई.
दुनिया के कई देशों में लैंगिक असमानता
भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में लैंगिक असमानता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के जारी ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2021 में अफ्रीका, यमन, इराक, पाकिस्तान और सीरिया में सबसे ज्यादा लड़कों और लड़कियों में अंतर मिला। वहीं, आइसलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड, स्वीडन, रवांडा में यह अंतर सबसे कम है.