जबलपुर.
एक जुलाई यानी नेशनल डॉक्टर्स डे. दुनिया में कहा जाता है कि, डॉक्टर्स धरती के भगवान होते हैं. आज mobycapsule.com एक ऐसे चिकित्सक की कहानी लेकर आया है. जो जबलपुर हैं और उनकी उम्र 76 साल है. जी हां, हम बात कर रहे हैं डॉक्टर (कैप्टन) एमसी डावर की. जो पिछले 50 साल से 20 रुपए या उससे कम फीस लेकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
पाकिस्तान जन्मभूमि, भारत में पढ़ाई की
बता दें कि, डॉ. एमसी डावर सेना से कैप्टन पद से रिटायर्ड हुए हैं. डॉ. एमसी डावर का जन्म आज के पाकिस्तान में सन 1946 में हुआ था. जब डेढ़ साल की उम्र में उनके पिता का निधन होने पर परिवार के सहयोग से वे स्कूल की पढ़ाई करने पंजाब के जालंधर आए. उन्होंने जबलपुर में MBBS की डिग्री हासिल की. इसके बाद सेना में भर्ती के लिए परीक्षा दी. तब उस परीक्षा में 533 अभ्यर्थियों में से केवल 23 ही चयनित हुए थे. इस चयन में उनका नंबर 9वां था.
सेना में डॉक्टर रहे, 1971 की जंग में हिस्सा लिया
सेना में भर्ती होने के बाद डॉ. एमसी डावर ने अपनी सेवाएं देना शुरू कर दिया. सन 1971 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच जंग हुई. तब उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश में थी. डॉ. डावर बताते हैं कि, मैंने न जाने कितने घायल जवानों का इलाज किया. हालांकि, जंग खत्म होने के बाद मुझे अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ा. इसके बाद मैंने सन 1972 में जबलपुर आए और अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी.

2 रुपए से रखी फीस, लाखों मरीजों का किया इलाज
डॉ. एमसी डावर बताते हैं कि, मेरी जिंदगी में 10 नवंबर 1972 का दिन बेहद खास है. क्योंकि, इसी दिन मैंने जबलपुर में अपने पहले मरीज की जांच की थी. तब मैंने दो रुपए अपनी फीस रखी थी. सन 1986 तक 2 रुपए फीस लेने के बाद मैंने 3 रुपए लेना शुरू की. सन 1997 में 5 रुपए और फिर आर्थिक समस्याओं के चलते 15 साल बाद सन 2012 में मैंने अपनी फीस 10 रुपए की. नवंबर 2021 से अब मैं 20 रुपए फीस लेकर मरीज देख रहा हूं.
डॉ. एमसी डावर बताते हैं कि, मैं ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ केे दर्शन पर कार्य कर रहा हूं. सन 1972 में मैंने जो क्लीनिक के लिए जो टेबल, कुर्सी और हॉस्पिटल बेड खरीदा था. वह आज भी मैं इस्तेमाल करता हूं. मैंने अपने इस फीस में भी बचत की और बेटे और बेटी को भी बेहतर शिक्षा दी.
हर दिन देखते हैं 200 मरीज, मरीज मांगते उनकी सेहत की दुआ
डॉ. एमसी डावर बताते हैं कि, मैं करीब 50 साल से हफ्ते में 6 दिन रोजाना 150-200 मरीजों का इलाज करता हूं. इनमें कुछ मरीज तो ऐसे हैं. उन्हें कोई भी तकलीफ हो. मगर, दवा लेने उनके पास ही आते हैं. उनके पास जबलपुर के साथ ही दूर-दराज के गांव और शहरों से भी मरीज आते हैं. इसको लेकर डॉ. एमसी डावर का कहना है कि, मुझे लोगों का बेहद प्यार मिलता है. सन 1986 में जब मेरी किडनी फेलियर होने पर पेशेंट्स मेरे लिए प्रार्थना करने मैहर के शारदा देवी मंदिर से लेकर गुरुद्वारों तक गए थे. यह मरीजों की दुआं का ही असर है कि, मैं जो कुछ भी हूं, सिर्फ इन्हीं की दुआ से हूं.