देश की राजधानी दिल्ली के इंद्राप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के चिकित्सकों की टीम ने एक आठ साल की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट करके जान बचाई है. Wilson’s disease से पीडित बच्ची को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. Wilson’s disease जेनिटिक बीमारी है. इसमें मरीज के शरीर में अतिरिक्त कॉपर जमा होता है. जिससे लिवर खराब हो जाता है. इसमें लिवर फेलियर के चांस भी रहते हैं. इसलिए समय रहते इस बीमारी का इलाज कराना बेहद जरूरी है.
इस बारे में अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर पीडिएट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने बताया कि, आठ वर्षीय बच्ची की हालत गंभीर थी. जब वह अपोलो हॉस्पिटल में आई. तब वह कोमा में थी. दूसरे अस्पताल में उसकी तबियत में सुधार नहीं हुआ तो उसे यहां पर भर्ती कराया गया था. उसे वेंटिलेटर पर भर्ती करके उपचार शुरू किया गया था. उसकी जांच के बाद परिजनों को लिवर टांसप्लांट की सलाह दी गई. इसके बाद बच्ची की डायलिसिस और प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी शुरू की गई. जिससे उसके शरीर से कॉपर निकाला जा सके.
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर पीडिएट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने बताया कि, बच्ची की मां ने लिवर डोनेट किया. 27 मार्च को 31 घंटे तक लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया चली थी. इसके बाद अब बच्ची को वेंटिलेटर से हटाया गया. अब बच्ची को होश आ गया है. अपोलो हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के सीनियर कन्सलटेंट डॉ. नीरव गोयल ने बताया कि, Wilson’s disease एक दुर्लभ रोग है. जिसके लक्षण बेहद गंभीर होते हैं. लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा बीमारी हो सकती है. बच्ची को भर्ती करने के 36 घंटे बाद ही उसका लाइव लिवर ट्रांसप्लांट किया गया. इस मामले में समान या कम्पेटिबल ब्लड ग्रुप डोनर नहीं मिलने पर एबीओ इन्कम्पेटिबल इमरजेंसी लिवर ट्रांसप्लांट किया गया.