नई दिल्ली.
चीन की तियांजिन मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. यह शोध डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश (भूलने की बीमारी) को लेकर किया गया है. जिसके नतीजे डराने वाले हैं. रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग सॉफ्ट ड्रिंक, चिप्स और कुकीज जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड (जरूरत से ज्यादा संसाधित या परिस्कृत) खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन करते हैं. उनमें डिमेंशिया होने का खतरा अधिक रहता है.
हाल में ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी’ में एक शोध प्रकाशित हुआ है. जो डिमेंशिया बीमारी को लेकर है. वैसे तो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का उद्देश्य भोजन को जल्दी और स्वादिष्ट बनाना है. लेकिन, वे उनकी गुणवत्ता भी कम करते हैं. इन खाद्य पदार्थों में पैकेजिंग या हीटिंग में अपनाई जाने वाली तकनीक का मानव सोच और स्मृति क्षमताओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
इस बारे में चीन की तियांजिन मेडिकल यूनिवर्सिटी ने रिसर्च किया है. इस रिसर्च के रिसर्चर हुइपिंग ली का कहना है कि, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ से डिमेंशिया का जोखिम बढ़ जाता है. रिसर्च में यह भी पाया गया है कि, स्वस्थ विकल्पों के साथ उन्हें बदलने से डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है.
ब्रिटेन के लोगों के डाटा पर शोध
रिसर्च में ब्रिटेन में रहने वाले 72083 लोगों के डाटा लिया गया. जिसमें प्रतिभागियों की उम्र 55 वर्ष से अधिक थी. रिसर्च की शुरुआत में उन्हें मनोभ्रंश नहीं था. शोध में यह जानने की कोशिश की गई कि, लोगों ने प्रतिदिन कितने ग्राम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ का सेवन किया. प्रतिदिन कितने ग्राम सामान्य खाद्य पदार्थ लिया.
19 प्रतिशत तक खतरा
रिसर्चर ने जिस डाटा का उपयोग करके आंकलन किया. जिससे किसी व्यक्ति को मनोभ्रंश के लिए कितना जोखिम है. यदि वे 10 प्रतिशत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को कम अस्वास्थ्यकर या न्यूनतम संसाधित खाद्य पदार्थों से बदल देते हैं. जिसके रिजल्ट के मुताबिक, 19 प्रतिशत तक का जोखिम होता है. रिसर्च से से पता चला कि, अल्ट्रा.प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के बजाय असंसाधित या न्यूनतम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से मनोभ्रंश का खतरा कम हो सकता है.