नई दिल्ली.
दिल्ली एम्स की एक स्टडी में सामने आया है कि, कोरोना से ठीक होने वाला हर पांचवां व्यक्ति अब पेट से जुड़ी समस्याएं झेल रहा है. यानी कोरोना से ठीक हुए मरीजों में से लगभग 20 फीसदी में पेट से जुड़ी परेशानी हो रही है. यह स्टडी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है. जिसके मुताबिक, कुछ लोगों में तीन से चार महीने तक यह लक्षण दिखाई दे दिए और अभी भी उन्हें परेशानी हो रही है.
दरअसल, हाल में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में दिल्ली एम्स का एक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ है. जो भारत समेत दुनियाभर के लोगों में कोरोना संक्रमण के बाद होने वाली पेट से जुड़ी बीमारियों पर की गई स्टडी पर आधारित है.

दिल्ली एम्स के गैस्ट्रो विभाग के प्रो. और स्टडी के सह लेखक डॉ. विनीत आहूजा बताते हैं कि, स्टडी में यह पता चला कि, कोरोना से ठीक हुए लोगों में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के मामले अधिक देखे गए हैं. यह आंतों का रोग है. जिसकी वजह से पेट में दर्द, बेचैनी व मल करने में परेशानी जैसी दिक्कत होती हैं. इस वजह से कब्ज या दस्त की शिकायत होती है या कब्ज के बाद दस्त और उसके बाद कब्ज जैसी स्थिति भी देखने को मिलती है. वैसे देखा जाए तो इसका कोई उपचार नहीं है. किन्तु कुछ उपचार जैसे भोजन में परिवर्तन, दवा तथा मनोवैज्ञानिक सलाह से यह बीमारी ठीक हो जाती है.
मरीज घबराएं नहीं, छह माह में हो जाएंगे ठीक
डॉ. विनीत आहूजा बताते हैं कि, अभी तक पोस्ट कोविड लक्षणों में सांस से जुड़ी परेशानी, थकान समेत अन्य बीमारियों पर ध्यान दिया गया. मगर, पेट से जुड़ी परेशानियां भी मरीजों में खूब देखने को मिल रही हैं. मेरी हर फिजिशियन से अपील है कि, ऐसे लक्षण वाले मरीज आएं तो वे मरीज की कोरोना से जुड़ी मेडिकल हिस्ट्री का पता जरूर करें. इसके साथ ही जिन लोगों को एसे लक्षण हैं. उन्हें घबराना नहीं है. पोस्ट कोविड में ऐसे लक्षण और बीमारी अधिकतम पांच से छह महीने में ठीक होती है.