आगरा.
यूपी एसोसिएशन ऑफ ओरिनोलैरिंगोलाजिस्ट और एसएन मेडिकल काॅलेज के ईएनटी विभाग की तीन दिवसीय यूपीएओआईकाॅन-23 (UPAOICON-23) में देश और विदेश के ईएनटी विशेषज्ञ आए. जिन्होंने नाक, कान और गला में होने वाले तमाम बीमारियों पर चर्चा की. UPAOICON-23 में यूपी एसोसिएशन ऑफ ओरिनोलैरिंगोलाजिस्ट निर्वाचित अध्यक्ष व महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी के ईएनटी विभागाध्यक्ष डाॅ. जितेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि, कान या नाक की बीमारियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. छोटी बीमारियां बाद में जो घाव बनाती हैं. जिससे संक्रमण ऊपर की ओर फैलता है. यही संक्रमण आगे चलकर आंख और दिमाग को संक्रमित कर देता है. यही वजह है कि, कोविड के बाद ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

बता दें कि, आगरा के होटल क्लार्क शीराज में यूपी एसोसिएशन ऑफ ओरिनोलैरिंगोलाजिस्ट की UPAOICON-23 में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी के ईएनटी विभागाध्यक्ष डाॅ. जितेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि, कान की अधिकतर बीमारियां बिगड़ने पर आंख और दिमाग को बुरी तरह संक्रमित करती है. गले की कुछ बीमारियों के साथ भी यही है. जिसमें हियरिंग लास के सबसे ज्यादा मरीज आ रहे हैं. लापरवाही के चलते ऐसे 15 से 20 प्रतिशत मरीजों में आंख और दिमाग को नुकसान पहुंचता है.
तीन से चार % को स्वाद गंध की दिक्कत
डाॅ. जितेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि, स्वाद न जान पाना, गंध महसूस न होना कोविड के लक्षण थे. कोविड से संक्रमित मरीज अभी तक लौट रहे हैं. तीन से चार प्रतिशत को यह समस्या अभी भी बनी हुई है. यह समय घट या बढ़ रहा है. यह कोविड का आफ्टर इफैक्ट कहा जा सकता है.
दिमाग के नीचे स्कल बेस में संक्रमण
डाॅ. जितेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि, कान में मवाद, कान की हड्डी गलने जैसी तमाम बीमारियों से संक्रमण दिमाग के नीचे वाले स्थान स्कल बेस में पहुंच जाता है. ऐसे मरीजों की तत्काल सर्जरी करनी पड़ रही है. इसलिए ईएनटी सर्जन नाक के रास्ते का सहारा लेते हैं. आज दूरबीन विधि से खूब ऐसी सर्जरी हो रही हैं.