हर माह एक महिला या किशोरी को पीरियड्स के दर्द से गुजरना पड़ता है. इसलिए महिला ही पीरियड्स का दर्द समझ सकती है. पीरियड्स में पेट में ऐंठन, कमर दर्द, चलने में परेशानी और अन्य परेशानी होती है. ऐसे में पीरियड्स के दिनों में ऑफिस में काम करना एक चुनौती होता है. इसको लेकर भारत में पीरियड्स लीव पर खूब चर्चा और बहस हो रही है. हालांकि, दुनिया के पांच देश में पीरियड्स लीव की व्यवस्था है. इसकी शुरूआत भारत के बिहार से हो गई है.
पीरियड्स लीव से तमाम देशों की महिलाओं को मिला आराम

हर माह महिलाओं को पीरियड्स होते हैं. जिसमें खूब पीड़ा होती है. जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद 1947 में महिलाओं की पीड़ा समझकर नए श्रम कानून में पीरियड्स लीव शामिल की. जबकि, सन 1922 में सोवियत संघ ने नेशनल पॉलिसी में कुछ सेक्टर्स में पीरियड लीव देना शुरू कर दिया था. इंडोनेशिया में पीरियड्स लीव की शुरुआत सन 1948 में हुई थी. इसके बाद तमाम देश में महिलाओं का दर्द समझकर पीरियड्स लीव देने का प्रावधान किया है. जिसकी वजह से आज ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस, ब्रिटेन, ताइवान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, इटली, जाम्बिया जैसे देश पीरियड्स लीव दिया जाता है. बात करें तो दक्षिण एशिया के 60 प्रतिशत देश में महिलाओं को पीरियड्स लीव दी जा रही है.
बिहार में लालू की सरकार ने 1992 में दी थी सौगात

भारत में सबसे पहले बिहार राज्य में 2 जनवरी 1992 से महिला कर्मचारियों को 2 दिन की पीरियड्स लीव की शुरूआत हुई थी. महिलाओं के 32 दिन तक हड़ताल करने पर तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने उन्हें यह हक दिया था. इसके बाद 1997 में मुंबई में स्थित कल्चर मशीन ने 1 दिन की छुट्टी देने की शुरुआत की थी. सन 2020 में फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो ने पीरियड लीव देने का ऐलान किया था. भारत में अब 12 कंपनियां पीरियड लीव दे रही हैं. जिसमें बायजू, स्विगी, मातृभूमि, बैजू, वेट एंड ड्राई, मैगज्टर शामिल हैं.
लोकसभा में भी मुद्दा उठा

सन 2017 की बात है, जब देश में पहली बार अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य निनॉन्ग एरिंग ने द मेन्स्ट्रुएशन बैनिफिट बिल 2017 का प्रस्ताव रखा था. इसमें पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के लिए 4 दिन की पेड पीरियड लीव देने की बात कही गई थी. यदि महिला इस दौरान छुट्टी नहीं लेना चाहती तो उसे 4 दिन के लिए दिनभर में 2 बार आधे घंटे का आराम दिया जाए. अगर कोई कंपनी ऐसा नहीं करे तो उस पर जुर्माना लगाने के साथ ही जेल भेजने की सजा का प्रावधान हो. हालांकि, इस प्रस्ताव पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.
पीरियड्स को लेकर सर्वे में यह बोलीं महिलाएं
सन 2021 में ऑस्ट्रेलिया स्थित मेलबर्न में विक्टोरियन वुमन ट्रस्ट एंड सर्कल इन ने 700 महिलाओं पर एक सर्वे किया था. जिसकी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि, 70 फीसदी महिलाएं अपने सीनियर से पीरियड्स की बात करने में असहज महसूस करती हैं. 83% महिलाओं ने कहा कि, महावारी का असर काम पर होता है. सन 2021 में ब्रिटेन के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्टडी में भी यह खुलासा हुआ कि, मीनोपॉज से गुजर रहीं महिला कर्मचारी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होती हैं. इस स्टडी में 2400 में से 25% महिलाओं ने बताया कि, लक्षण, जागरुकता की कमी, सहकर्मियों के सहयोग का अभाव उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर देता है.