आगरा.
देश और दुनियां में तेजी से फिशर, पाइल्स, फिस्टुला, कोलन कैंसर की समस्याएं बढ़ रही हैं. ऐसे में जरूरत है कि, नई तकनीकी से सर्जन्स को ट्रेंड किया जाए. आगरा में आयोजित वल्र्डकाॅन 2023 में आईएससीपी ने तीन वर्ष में 20 हजार सर्जन्स को सर्जरी की नई तकनीकि में ट्रेंड करने की योजना बनाई है. इसके साथ ही रविवार को एसआर हास्पिटल, नामनेर में इंटरनेशनल कांफ्रेंस आॅफ कोलो प्रोक्टोकालोजी वर्ल्डकॉन 2023 में 15 जटिल बीमारियों के ऑपरेशन किए गए. इसके साथ ही, कांफ्रेस के चैथे दिन कलाकृति में महिलाओं से सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा की गई. समापन समारोह में आयोजन समिति के सदस्यों को सम्मानित किया गया.
आईएससीपी के अध्यक्ष डाॅ. प्रशांत रहाटे ने कहा कि, पाइल्स, फिशर, फिस्टुला की लेजर विधि, एमआइपीएच स्टेप्लर विधि, चिवटे प्रोसीजिर, सिग्मोइडोस्कापी, एंडोसूचरिंग विधि से दर्द रहित सर्जरी संभव है. इसके बाद 24 से 48 घंटे में मरीज काम पर लौट जाता है. इतना ही नहीं, सर्जरी का खर्चा भी कम है. मगर, हमारे देश में इस नई तकनीकी से सर्जरी करने वाले 20 प्रतिशत सर्जन हैं. नई तकनीकि से ट्रेंड 80 फीसदी सर्जनों की कमी है. आने वाले तीन वर्षों में 20 हजार सर्जन को नई तकनीकी के लिए ट्रेंड किया जाएगा. इसके लिए फेलोशिप कार्यक्रम भी शुरू किया गया है.
15 लाइव सर्जरी की गईं
कार्यशाला में एसआर हास्पिटल नामनेर में 15 लाइव सर्जरी की गईं. लेजर सहित अत्याधुनिक विधि से की गई सर्जरी के बारे में सर्जन को प्रशिक्षण दिया गया. समापन समारोह में बेस्ट सर्जन एसएन मेडिकल कालेज की डाॅ. सिमरन मदान और एक्सीलेंस अवार्ड से डाॅ. शिवम शर्मा को सम्मानित किया गया. आयोजन समिति के सचिव डाॅ. अंकुर बंसल, डाॅ. अनुभव गोयल, डाॅ. हिमांशु यादव, डॉ. करन रावत, डाॅ. भुवनेश शर्मा, डाॅ. जगत पाल सिंह समेत अन्य मौजूद रहे.
काॅकटेल थैरेपी से महिला मरीजों का इलाज
कांफ्रेस में महिलाओं की यौनि से संबंधित बीमारियों का इलाज अब काॅकटेल थैरेपी से किया जा रहा है. इसमें सर्जरी करने की जरूरत नहीं होती है. स्त्री व प्रसूचि रोग विशेषज्ञ डॉ. निधि बंसल, डॉ. अनुश्री रावत ने बताया कि, कुछ व्यायाम बताए जाते हैं. पौष्टिक आहार और वैजाइनल लेजर विधि का इस्तेमाल किया जाता है. महिलाएं जागरूक नहीं है. वे अपनी बीमारी नहीं बताती हैं. इसलिए समस्या बढ़ रही है. डाॅ. सुधा बंसल, डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा, डाॅ. अमित टंडन ने महिलाओं से जुड़ी बीमारी और इलाज पर चर्चा की.
अफ्रीका में यूरीन लीक एक बड़ी समस्या
अफ्रीका से आए डाॅ. बोहा जी थाट ने बताया कि, उनके देश में यूरीन लीक एक बढ़ी समस्या है. पांच से छह बच्चे सामान्य प्रसव से होते हैं. इसके कारण समस्या बढ़ रही है. डाॅ. कानो मौसा, डॉ. बोह जी.था अफ्रीका ने बताया कि निसंतानता की समस्या भी उनके देश में बढ़ने लगी है. भारत की तरह ही अफ्रीका में भी निजी सेक्टर में ही इलाज की बेहतर सुविधा हैं. लेकिन, निजी सेक्टर महंगा है. खान.पान व जीवन शैली में बदलाव के कारण इंफर्टीलिटी की समस्या भी लगभग 25 फीसदी पर पहुंच गई है.