Good News: SNMC में जनवरी से बाईपास सर्जरी, हार्ट एंड लंग्स मशीन का ऑर्डर जारी…
Good News: आगरा के एसएनएमसी में बनी सुपर स्पेशियलिटी विंग में हार्ट की बाईपास सर्जरी की तैयारी हैं. निर्माणदायी संस्था ने विदेश से मशीन खरीदने का आर्डर दे दिया है.
आगरा.
Good News: आगरा और आसपास के जिलों के लोगों के लिए अच्छी और राहत (Good News) देने वाली खबर है. अब हृदय के मरीजों की बायपास सर्जरी एसएन मेडिकल कालेज में होने लगेगी. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि बहु-प्रतीक्षित बाईपास सर्जरी जनवरी में शुरू हो सकेगी. सर्जरी के लिए जरूरी हार्ट एंड लंग्स मशीन खरीदने का आर्डर निर्माणदायी संस्था ने दे दिया है. यह मशीन विदेश से आएगी. जो दिसंबर तक एसएनएमसी में स्थापित होने की उम्मीद है.
बता दें कि एसएन मेडिकल कालेज में 200 करोड़ रुपये की लागत से सुपर स्पेशिलिटी विंग बनी है. जहां पर हृदय मरीजों के लिए ‘कैथलैब’ विकसित की गई है. जहां पर जनवरी से हार्ट मरीजों की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी की जा रही हैं. अब हार्ट की बाईपास सर्जरी के लिए हार्ट एंड लंग्स मशीन को भी कैथलैब में लगाया जाएगा. सुपर विंग का निर्माण करने वाली कंपनी ‘हाइट्स’ ने मशीन खरीद का आर्डर दे दिया है.
Good News: दो करोड़ रुपये की मशीन लंदन से आएगी
बता दें कि एसएनएमसी की सुपर स्पेशियलटी विंग में हार्ट एंड लंग्स मशीन यूनाइडेट किंगडम (लंदन) की ‘लीवानोवा’ कंपनी की जाएगी. जिसकी कीमत करीब दो करोड़ रुपये बताई गई है. अस्पताल प्रशासन की मानें तो दिसंबर के पहले सप्ताह तक मशीन भारत और एसएनएमसी में आ जाएगी. जो सुपर विंग की कैथलैब में स्थापित की जाएगी. जिस पर 15-20 दिनों तक परीक्षण किए जाएंगे. इसके बाद उम्मीद है कि जनवरी 2026 मध्य तक यहां पर बायपास सर्जरी शुरू हो जाएगी.
कब पड़ती है बाईपास सर्जरी की जरूरत ?
जब दिल की धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं. हृदय की मांसपेशियों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचता है. जिससे ही सीने में दर्द (एंजाइना) या दिल का दौरा पड़ सकता है. इसके बाद जब दवाइयों और एंजियोप्लास्टी से राहत नहीं मिलने पर डॉक्टर बाईपास की सलाह देते हैं. विशेषकर ऐसा तब होता है, जब कई धमनियां गंभीर रूप से रुकी हुई या बाईं ओर की मुख्य कोरोनरी धमनी में रुकावट आ जाती है.
क्या और कैसे होती है बाईपास सर्जरी ?
बता दें कि छाती में चीरा लगाकर पसलियों को फैलाकर हृदय तक जाते हैं. इसके बाद शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्वस्थ रक्त वाहिका (ग्राफ्ट) को लेते हैं. इसे रुकी धमनी के एक सिरे से जोड़कर शरीर के बाकी हिस्सों में खून ले जाने वाली मुख्य धमनी तक पहुंचाते हैं. इससे रक्त उस ग्राफ्ट के जरिए नया रास्ता बना लेता है. खून रुकावट के करीब होकर दिल की मांसपेशियों तक पहुंच जाता है.
आधी कीमत में हो जाएगा इलाज
निजी अस्पतालों में हृदय की स्थिति के हिसाब से 1.5 लाख से लेकर 10 लाख रुपये में हार्ट का बाईपास किया जाता है. जबकि एसएनएमसी में आधी से भी कम कीमत में सुविधा उपलब्ध होगी. विभिन्न स्टेज के मुताबिक शासन शुल्क तय करेगा. आयुष्मान योजना जैसी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के कार्ड धारकों को मुफ्त सुविधा मिल सकती है. फिलहाल यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है.
जनवरी में शुरू होगी सर्जरी
एसएनएमसी के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में जनवरी से बाईपास सर्जरी होने लगेगी. सुपर विंग की निर्माणदायी संस्था हाइट्स को ही मशीन की स्थापना करनी है. खरीद का आर्डर हो चुका है. अब मशीन के आने की देरी है. मशीन दिसंबर तक आ जाएगी. जिससे जनवरी में सर्जरी की सेवाएं शुरू हो जाएंगी.
