Health News: आगरा में आयोजित कार्यशाला में कोचीन के डॉ. हाफिज रहमान ने कमजोर गर्भाशय में जाली (मेश) लगाकर मजबूत कर पांच महिलाओं की सफल डिलीवरी कराने पर व्याख्यान दिया. यह कार्यशाला आगरा ऑब्सट्रेटिकल एंड गायनेकोलॉजी सोसायटी के नेशनल व यूपी चैप्टर व डॉ. कमलेश टंडन हॉस्पीटल एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की ओर से आयोजित की गई. जिसमें 25 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए.
आगरा, उत्तर प्रदेश.
Health News: अब कमजोर गर्भाशय को मेश (जाली) लगाकर मजबूत बनाए जाने से ऐसी महिलाओं को भी मां बनने का सुख मिल सकेगा. जो गर्भ धारण नहीं कर पाती थीं. उनके लिए यह तकनीकि लाभकारी है. कोचीन से आए डॉ. हाफिज रहमान ने हर्निया में लगाई जाने वाली जाली (मेश) को गर्भशय पर लगाकर ऐसी पांच महिलाओं की डिलीवरी करवाई है. जो मां बनने की उम्मीद छोड़ चुकी थीं. विश्व में पहली बार ऐसी सफलता भारत में डॉ. हाफिज की इजाद तकनीक (मेश प्लास्टी ऑफ यूट्रस) से मिली है. आगरा के डॉ. अमित टंडन ने भी एक ऐसी महिला की डिलीवरी करवाई जो गर्भाशय कमजोर होने के कारण उनके पास गर्भपात के लिए आई थी. परंतु, मेश लगाकर उसके गर्भशय को मजबूत किया गया तो डिलीवरी सम्भल हो सकी.
बता दें कि आगरा ऑब्सट्रेटिकल एंड हायनेकोलॉजी सोसायटी के नेशनल, यूपी चैप्टर और डॉ. कमलेश टंडन हॉस्पिटल टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की ओर से ताज होटल एंट कनवेन्शन सेंटर में दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई. जिसमें कोचीन से आए डॉ. हाफिज रहमान ने अपने व्याख्यान में बताया कि अक्सर गर्भाशय कमजोर होने पर महिलाओं को बार-बार गर्भपात होने से मां बनने का सुख से वंचित रह जाती थी. कार्यशाला में सूचरिंग (टांके लगाने की) हैंड ऑन वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया.

Health News: मेट्रो सिटी में 50 फीसदी तक सिजेरियन डिलीवरी
आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अमित टंडन ने बताया कि गर्भाशय के कमजोर होने का एक कारण सिजेरियन और बार-बार गर्भपात भी हो सकता है. परंतु आज के दौर में महिलाएं मां बनने का सुख तो चाहती हैं. परंतु बिना दर्द के सिजेरियन डिलीवरी के अधिक होने का एक मुख्य कारण यही है. छोटे शहरों में लगभग 20-30 प्रतिशत वहीं मेट्रो सिटी में 50 फीसदी तक सिजेरियन डिलीवरी हो रही हैं. गर्भावस्था के दौरान शारीरिक व्यायाम ना होने से भी कॉम्पलीकेशन बढ़ सकते हैं. नवें महीने पर खूब काम करना चाहिए. जिससे महिला की मांसपेशियां व हड्डियों में लचीलापन बना रहे और डिलावरी सामान्य हो सके.
मीनोपॉज से पहले और बाद में ब्लीडिंग कहीं सैंकर तो नहीं
यूपी चैप्टर ईएजीआई की चेयरपर्सन डॉ. नूतन जैन (मुजफ्फरनगर) ने बताया कि मीनोपॉज से पहले और कई वर्षों बाद होने वाली अधिकता में ब्लीडिंग रसौली या कैसंर का कारण हो सकती है. अक्सर महिलाएं 40 की उम्र में अधिक ब्लीडिंग होने की समस्या को मीनोपॉज समझकर नजरअंदाज कर देती हैं. वहीं 60-65 की उम्र में भी महिलाएं ब्लीडिंग की समस्या लेकर पहुंचती हैं. 10-12 वर्ष तक रसौली रहने पर वह कैंसर भी बन सकती है. इसलिए जब भी अधिकता में ब्लीडिंग हो डॉक्टर से अवश्य चेकअप करवाएं. हर वर्ष गर्भाशय में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. स्वस्थ रहने के लिए नियमित दिनचर्या, वजन को कंट्रोल में रखना और प्रतिदिन व्यायम करें. हर रोज सेलीब्रेटिंग डे के दौर में महिलाएं महिलाएं खुद के स्वास्थ्य पर ध्या नहीं दे रही हैं.
हर गायनेकोलॉजिस्ट के लिए जरूरी हिस्ट्रोस्कोपी
डॉ. मिलिंद तेलंग (पूना) ने कहा कि हिस्ट्रोस्कोपी पर अपने व्याख्यान में कहा कि हर गायनेकोलॉजिस्ट के लिए हिस्ट्रोस्कोपी की ट्रेनिंग आवस्यक है. जिससे 10-20 मिनट में सोनोग्राफी की तरह बिना किसी मेडिकेशन के गर्भाशय की स्पष्ट स्थिति को जाना जा सके. यह मरीज के स्वास्थ के लिए भी बहुत आवश्यक है. भारत में मात्र अभी एक प्रतिशत गायनेकोलॉजिस्ट ही इससे प्रशिक्षत हैं. सबी गायनेकोलॉजिस्ट के प्रशिक्षित होने पर गर्भाशय से सम्बंधिक समस्या के इलाज में काफी लाभ सम्भव है. इसके लिए कार्यशाला में भी डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया. चार दिन के कोर्स से इसका प्रशिक्षण लिया जा सकता है.
नई सम्भावनाओं की उम्मीद क साथ सम्पन्न हुआ समापन समारोह
चिकित्सा क्षेत्र में नई सम्भावनाओं की उम्मीद के साथ दो दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह योजित किया गया. आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अमित टंडन ने सभी सदस्यों को कार्यशाला की सफलता के लिए स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया. कार्यशाला में 25 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए. इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के सचिव डॉ. वैशाली टंडन, डॉ. संध्या अग्रवाल, डॉ. सरोज सिंह, डॉ. मधु राजपाल, डॉ. रिचा सिंह, डॉ. सुधा बंसल, डॉ. आकृष्टि, डॉ. नमिता, डॉ. रिचा सिंह, डॉ. निधि बंसल, डॉ. रचना अग्रवाल, डॉ. पूनम यादव, डॉ. मीनल जैन, डॉ. अभिलाषा प्रकाश, डॉ. अमिता मंगल आदि उपस्थित थीं.