Health News: देश में आज बदली लाइफ स्टाइल और खानपान से युवा से लकवे की चपेट में आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि युवाओं की जान बचाने के लिए उन्हें खून पतला करने की दवा खाने की सलाह दी जा रही है.
मुजफ्फरपुर, बिहार.
Health News: बिहार में 30 से 32 वर्ष तक के युवा भी लकवे की चपेट में आ रहे हैं. यह खुलासा एसकेएमसीएच के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या से हुआ है. अस्पताल में 250 मरीजों में लगभग 100 मरीज तो लकवे से पीड़ित होते हैं. जो मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी और शिवहर के होते हैं. इसके साथ ही सीवान और गोपालगंज जिले से भी लकवे के मरीज यहां पहुंच रहे हैं. इस बारे में एसकेएमसीएच में न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ दीपक कर्ण बताते हैं कि लकवे के शिकार युवाओं के चेहरे में परेशानी हो रही हैं. उनका मुंह टेढ़ा हो रहा है.
न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ दीपक कर्ण बताते हैं कि एसकेएमसीएच के सुपर स्पेशयलिटी में आने वाले लकवे के मरीजों की केस हिस्ट्री से पता चल रहा है कि वह रात में पूरी नींद नहीं ले रहे हैं. धूम्रपान या अन्य तरह का नशा भी करते हैं. नशे की लत से ही कम उम्र में दिमाग की नसों में गड़बड़ी हो रही. जो लकवा अटैक की बडी वजह है. हर किसी को रात में छह से आठ घंटे की नींद जरूरी है. कम उम्र में लकवे के शिकार लोगों में हाई बीपी की भी शिकायत मिली है. इन मरीजों का बीपी 160 से लेकर 180 तक मिला है.

मरीज ले रहे खून पतला करने की दवा (Patients taking blood thinners)
डॉक्टरों की मानें तो लकवे में हमेशा दवा खानी पड़ती है. युवाओं को माइनर अटैक के बाद खून पतला करने की दवा हमेशा खानी पड़ती है. ऐसे में युवाओं को नियमित व्यायाम करना चाहिए. इसके साथ ही बीपी हाई होने से खून गाढा हो जाता है. इसलिए, ऐसे मरीजों को खून पतला करने की दवा दी जाती है.
भीषण गर्मी के कारण आए लकवे के मरीज (Paralysis patients came due to extreme heat)
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में बीते दिनों गर्मी में लकवे के काफी मरीज पहुंचे. न्यूरो विभाग के एचओडी डॉ. कर्ण का कहना है कि गर्मी से तनाव बढ़ता है, इससे रक्तचाप में उतार-चढ़ाव होता है. जिसकी वजह से ही भीषण गर्मी के कारण लकवे के काफी मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं.
गंभीर मरीजों को करना पड़ रहा रेफर (Serious patients have to be referred)
एसकेएमसीएच में सुपर स्पेशियलिटी बनने के बाद भी लकवे के गंभीर मरीजों को पटना या दूसरे शहरों में रेफर करना पड़ रहा है. सुपर स्पेशियलिटी में एक भी न्यूरो फिजिशियन नहीं हैं. जिसकी वजह से लकवे के मरीजों को दूसरे शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है. इसके साथ ही पैरा मेडिकल कर्मियों की भी यहां कमी है. पैरा मेडिकल की कमी के कारण गंभीर मरीजों को रेफर किया जाता है.