Heart Health: पत्रिका द लैंसेट ई-बायोमेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जिसमें भारत, चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों में प्लास्टिक का उत्पादन और उपयोग बहुत तेजी से बढ़ा है. लेकिन, इसके सुरक्षित इस्तेमाल और नियंत्रण को लेकर कोई सख्त नियम या जागरुकता नहीं है. इस कारण लोग अनजाने में डीईएचपी जैसे खतरनाक रसायनों के लगातार संपर्क में रहते हैं.
नई दिल्ली.
Heart Health: भारतीयों के दिल (Heart Health) को बीमार प्लास्टिक में पाया जाने वाला जहरीला रसायन डाय-2 एथाइलहेक्सिल थैलेट (Di-2 Ethylhexyl Phthalate) बना रहा है. यह चौंकाने वाला खुलासा हाल में ही प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका द लैंसेट ई-बायोमेडिसिन में प्रकाशित एक वैश्विक शोध में हुआ है. जिसमें डीईएचपी ((DEHP) को दिल की बीमारियों (Heart heart Diseases) का बड़ा कारण बताया गया है. इससे भी चिंता की बात यह है कि डीईएचपी से संबंधित दिल की बीमारियों से होने वाली सबसे ज्यादा मौतें भारत में हो रही हैं. क्योंकि, भारत, चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों में प्लास्टिक का उत्पादन और उपयोग बहुत तेजी से बढ़ने के साथ ही जागरुकता के अभाव में लोग अनजाने में डीईएचपी जैसे खतरनाक रसायनों के लगातार संपर्क में रहते हैं.
https://www.thelancet.com/journals/ebiom/article/PIIS2352-3964(25)00174-4/fulltext
बता दें कि प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका द लैंसेट ई-बायोमेडिसिन में प्रकाशित एक वैश्विक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जो न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन हेल्थ ने स्टडी की है. जिसके मुताबिक, डीईएचपी भी दुनियाभर में हृदयरोगों से होने वाली मौतों का बड़ा कारण बनता जा रहा है. रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि सन 2018 की बात करें तो डीईएचपी रसायन के संपर्क से करीब 3.5 लाख लोगों की मौत दिल (Heart Health) की बीमारियों के कारण हुई. जिनमें 103587 मौतें अकेले भारत में हुईं थीं. जबकि, चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों से यह आंकड़ा और भी ज्यादा है.
Heart Health: प्लास्टिक में डीईएचपी की मात्रा अधिक (High amount of DEHP in plastic)
पत्रिका द लैंसेट ई-बायोमेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट में स्पष्ट है कि भारत में प्लास्टिक से संबंधित स्वास्थ्य संकट बहुत तेजी से बढ़ रहा है. स्टडी में यह भी बताया गया है कि डीईएचपी से जुड़ी मौतों की वजह से 2018 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगभग 510 अरब से 3.74 लाख करोड़ डॉलर तक का नुकसान हुआ था. इस में प्रमुख शोधार्थी रहे डॉ. लियोनार्डो ट्रासांडे का कहना है कि डीईएचपी प्लास्टिक में बड़ी मात्रा में उपयोग होता है. जो हार्ट अटैक से मौत का सबसे बडा कारण बन रहा है.