नई दिल्ली / देहरादून.
केंद्र और राज्य सरकारें’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को लेकर जागरुकता कर रही हैं. समाज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने और दिलाने की बात करता है. मगर, हकीकत उलट है. यही वजह है कि, सरकारी व निजी कंपनियों में ऊंचे पदों पर महिलाएं कम हैं. देश में जहां मिजोरम सबसे आगे हैं. सरकारी व निजी कंपिनयों में 40 फीसदी महिलाएं उच्च पदों पर हैं. जबकि, सबसे निचले पायदान पर उत्तराखंड है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण(PLFS) के मुताबिक, उत्तराखंड में महज 3.3 फीसदी महिलाएं ही कंपनियों में प्रबंधकीय पदों पर कार्यरत हैं. इस मामले में देश के 28 राज्य में उत्तराखंड सबसे आखिर में हैं. यदि आठ केंद्र शासित राज्य भी इस रिपोर्ट में शामिल किए जाएं तो सबसे कम दमन दीव में सबसे कम 1.8 फीसदी ही महिलाएं उच्च पदों पर हैं.

बता दें कि, भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जुलाई 2022 में पीएलएफएस रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट देशभर में जुलाई 2020 से जून 2021 तक कराए सर्वे पर आधारित है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ की है. हिमाचल की बात करें तो यहां वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 45.2 फीसदी है तो वहीं, छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 41.4 फीसदी है.
पीएलएफएस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में महिलाओं की हिस्सेदारी 29.7 फीसदी है. जो सिक्किम, राजस्थान, उड़ीसा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हिमाचल सहित 16 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेशों से बहुत कम है. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में सरकारी और निजी कंपनियों में ऊंचे पदों पर महिलाओं को तवज्जो नहीं दी जा रही है. यही वजह है कि, यहां केवल 3.3 फीसदी महिलाएं ही कंपनियों के उच्च पद पर काबिज हैं.