आज दुनियां भर की महिलाएं खुशी से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day) मना रही हैं. यह दिन महिलाओं के सम्मान, समानता और अधिकार की कहानी बयां कर रहा है. यही वजह है कि, नभ, जल और थल में आज महिलाएं अपनी कामियाबी की इबरारत लिख रही हैं. International Womens Day की अनूठी पहल को पहली बार धरातल पर लाने वाली क्लारा जेटकिन की आज के दिन याद करना बेहद जरूरी है. mobycapsule.com आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर क्लारा जेटकिन की संघर्ष की कहानी पढ़ें.
जर्मनी में 5 जुलाई 1857 को गॉटफ्राइड ईस्नर और जोसफीन विटाले के घर में क्लारा जेटकिन का जन्म हुआ था. क्लारा जेटकिन के पिता गॉटफ्राइड ईस्नर एक स्कूल में मास्टर थे. जबकि, उनकी मां जोसफीन विटाले भी उच्च शिक्षित थीं. जोसफीन विटाले फ्रांसीसी मूल की थीं. क्लारा जेटकिन पढ़ाई के दौरान ही समाजसेवा में आ गई थीं. फिर सन 1878 में बिस्मार्क ने जर्मनी में समाजवादी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया तो क्लारा ज़ेटकिन ने सन 1882 में ज्यूरिख आईं. फिर उन्होंने पेरिस में पत्रकार और ट्रांसलेटर की नौकरी की. पेरिस में ही क्लारा जेटकिन ने सोशलिस्ट इंटरनेशनल ग्रुप की नींव रखने में अपनी अहम भूमिका निभाई. अब क्लारा जेटकिन की बात करें तो वे मार्क्सवादी चिंतक तथा कार्यकर्ता थीं. मगर, महिलाओं के अधिकारी के लिए वे निरंतर एक्टिव रहीं.
बात सन 1908 की है. अमेरिका के न्यूयॉर्क की सड़कों पर करीब 15000 कामकाजी महिलाएं एक मजदूर आंदोलन में शामिल हुईं. तब महिलाओं ने मार्च निकाला था. तब महिलाओं ने मतदान के अधिकार, नौकरी में काम के घंटे कम करने और वेतनमान बढ़ाने की मांग की थी. महिलाओं की बुलंद आवाज पर तब तत्कालीन सरकार ने एक साल बाद सन 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने महिला दिवस मनाने की घोषणा की. इसके बाद उसी साल यूनाइटेड स्टेट्स में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाया गया था. सन 1910 में क्लारा ज़ेटकिन ने कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने सुझाव दिया. इस पर कॉन्फ़्रेंस में शामिल 17 देशों की 100 से ज्यादा महिलाओं ने अपना समर्थन दिया. सबसे पहले 19 मार्च 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था.