ISOCON-2024: आगरा में तीन दिवसीय 32वीं इंडियन सोसायटी ऑफ ऑटोलॉजी की वार्षिक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हो रही है. जिसमें रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए जा रहे हैं. आइए, टॉकिंग्स ग्लब्स के बारे में जानते हैं...
आगरा, उत्तर प्रदेश
ISOCON-2024: उत्तर प्रदेश के आगरा में 32वीं राष्ट्रीय वार्षिक कार्यशाला में इंडियन सोसायटी ऑफ ऑटोलॉजी (32nd National Annual Workshop of the Indian Society of Otology) की आयोजित हो रही हैं. ISOCON-2024 में देश और दुनिया के 1200 से अधिक ईएनटी विशेषज्ञ (ENT Specialists) जुटे हुए हैं. जो कान में होने वाली तमाम बीमारी और सर्जरी पर मंथन कर रहे हैं. इसमें बहरेपन होने की बीमारियों पर चर्चा की जा रही है. अब दुनिया की बात करें तो न्यूरोलॉजी डिसऑर्डर, डायबिटीज, हृदय रोग के अलावा सबसे बड़ा कारण (50-60 फीसदी) कान की समस्या है. ISOCON-2024 में एम्स जोधपुर से आये डॉ. अमित गोयल से आइए, टॉकिंग्स ग्लब्स (Talking Gloves) के बारे में जानते हैं. जो मूक लोगों की आवाज बन रहे हैं.
ISOCON-2024: भारत ने पैटेंट कराया इस विशेष डिवाइस
एम्स जोधपुर (AIIMS Jodhpur) के डॉ. अमित गोयल ने बताया कि किसी बीमारी के कारण यदि आप अपनी आवाज खो बैठे हैं (आपके गले स् वॉयज ब़क्स निकाला जा चुका है) तो अब आपकी आवाज टाकिंग ग्लब्ज बनेंगे. ये डिवाइस बेहद लाभकारी है. जो मेड इन इंडिया है. जिसे भारत ने पैटेंट (Talking Gloves) कराया है. डॉ. अमित गोयल बताते हैं कि टॉकिंग ग्लब्स पहनकर कम्प्यूटर पर अंगुलियां चलाने की क्रिया की तरह आप अपनी बात को आवाज के साथ लोगों के सामने रख पाएंगे. इस डिवाइज (Talking Gloves) के लिए पैंटेंट कराया जा चुका है.
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हम एक्सपोर्ट कर रहे टाकिंग ग्लब्ज डिवाइस (We are exporting talking gloves device)
डॉ. अमित ने बताया कि टॉकिंग ग्लब्स (Talking Gloves) हर भाषा में बोलने में सक्षम होंगे. सिर्फ इसके प्रयोग के लिए दो महीने की ट्रेनिंग लेनी होगी. सरकार की ओर से सर्जीकल डिवाइस बनाने वाले डॉक्टर्स और शोधार्थियों को डिवाइस को पेटेंट कराने से लेकर मार्केट में लाने तक की भी ट्रेनिंग सरकार की मदद से जगह-जगह दे रहे हैं. पिछले 10 वर्षों में बहुत से उपकरण है. जिन्हें पहले आयात किया जाता था. अब हम उन्हें एक्सपोर्ट कर रहे हैं. चिकित्सा क्षेत्र में मेड इन इंडिया तेजी से छाने लगा है.
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‘टॉकिंग ग्लव्स’ डिवाइस बनाने वाली टीम में ये शामिल
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) जोधपुर ने बेहद कम लागत में ‘बोलने वाले दस्ताने’ यानी ‘टॉकिंग ग्लव्स’ (Talking Gloves) बनाए हैं. जो अक्षम लोगों के लिए विकसित किए गए हैं. ये ‘टॉकिंग ग्लव्स’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमआई) के सिद्धांतों का उपयोग करके स्वचालित रूप से भाषण उत्पन्न करते हैं. इस डिवाइस की कीमत 5000 रुपये से कम है. ‘टॉकिंग ग्लव्स’ बनाने वाली टीम में आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर प्रो. सुमित कालरा, आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) के डॉ. अर्पित खंडेलवाल और एम्स जोधपुर ( (AIIMS) के डॉ. नितिन प्रकाश नायर (एसआर, ईएनटी), ईएनटी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अमित गोयल, फिजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अभिनव दीक्षित समेत अन्य इनोवेटर्स की टीम है.
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ISOCON-2024: ‘टॉकिंग ग्लव्स’ कैसे काम करते हैं ? (How do ‘Talking Gloves’ work?)
डॉ. अमित गोयल ने बताया कि ये डिवाइस (Talking Gloves) सेंसर युक्त है. पहले हाथ के अंगूठे, उंगली या कलाई के संयोजन पर पहनते हैं. ये विद्युत संकेत उंगलियों, अंगूठे, हाथ और कलाई की हरकतों के संयोजन से उत्पन्न हो सकते हैं. जिससे दूसरी तरफ़ सेंसर के दूसरे सेट से भी विद्युत संकेत उत्पन्न होते हैं. विद्युत संकेत सिग्नल प्रोसेसिंग यूनिट में प्राप्त होते हैं. एआई और एमएल एल्गोरिदम का उपयोग करके संकेतों के इन संयोजनों को कम से कम एक व्यंजन और एक स्वर के अनुरूप ध्वन्यात्मकता में अनुवादित किया जाता है. स्वरों और व्यंजनों के संयोजन से ध्वनिविज्ञान के अनुसार श्रव्य संकेतों की उत्पत्ति से वाणी की उत्पत्ति होती है. मूक व्यक्ति को दूसरों के साथ श्रव्य रूप से संवाद करने में सक्षम बनाती है.