नई दिल्ली.
वैसे तो गर्भवती और गर्भस्थु शिशु की हेल्थ के लिए 39 से 40 सप्ताह में डिलेवरी होना बेहतर है. मगर, आजकल समय से पहले प्रसव यानी यानी प्री मैच्योर डिलेवरी भी खूब डिलेवरी हो रही हैं. प्री मैच्योर डिलेवरी में जन्म लेने वाला नवजात भी प्री मैच्योर होता है. वह उसका वजन कम और कमजोर होता है. प्री मैच्योर डिलेवरी के बाद यदि नवजात की देखभाल कंगारू मदर थैरिपी से करें तो वो उसे तमाम संक्रमण, पीलिया, लर्निंग डिसऑर्डर और सेरिब्रल पॉल्सी जैसी बीमारियों नहीं घेरती हैं.
कंगारू मदर थैरिपी पर पांच देशों में एक रिसर्च हुई है. जिसने कंगारू मदर केयर की उपयोगिता और साबित कर दी. रिसर्च के रिजल्ट के मुताबिक, जन्म के तुरंत बाद यदि प्री मैच्योर नवजात को कंगारू मदर केयर दी जाए. तो नवजात तेजी से ग्रोथ करता है. भारत की बात करें तो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भी रिसर्च में शामिल था. रिसर्च के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट मशहूर न्यू इंग्लैंड जर्नल में प्रकाशित हुई है.
रिसर्च के मुताबिक, पांच देशों में जन्म के तुरंत बाद नवजात को कंगारू मदर थैरिपी दी गई. जिससे हर साल 150000 और शिशुओं की जान बचाई जा सकी. वैसे डिलेवरी के बाद नवजात को 3 से 7 दिन तक इनक्यूबेटर में स्थिर रखने के बाद ही दिया जाए. लेकिन, जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर शुरू करने पर शिशु मृत्यु दर में 25 फीसदी की कमी और ला सकती है.

सफदरजंग अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के प्रमुख शोधकर्ता प्रो. डॉ. हरीश छिलानी बताते हैं कि, कंगारू मदर केयर पहले से ही प्रभावी रही है. हम अपने अस्पताल की बात करें तो यहां भर्ती ऐसे शिशुओं की मृत्यु दर 40 तक कम हुई है. ऐसे नवजात जिनका जन्म के समय जन 2.0 किलो से कम होता है. उन्हें कंगारू मदर केयर से बचाया जा सका है. रिसर्च में यह साबित करता है कि, जन्म के तुरंत बाद प्री मैच्योर नवजात को मदर केयर दी गई. जिससे प्री मैच्योर नवजात में मृत्यु दर 25 फीसदी तक और कम की जा सकी. कम वजनी नवजात के जन्म के तीन से सात दिन बाद इनक्यूबेटर में स्थिर करने के बाद ही उसे कंगारू मदर केयर देने का चलन है. सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसवी आर्या बताते हैं कि, यह रिसर्च दुनिया के पांच देश में हुआ. इस रिसर्च की रिपोर्ट से दुनियाभर के शिशुओं की जन्म के बाद कंगारू मदर केयर को चिकित्सीय केयर में बदल जा सकेगा.
रिसर्च में 3211 प्री मैच्योर नवजात शामिल किए
पांच देश के प्री मैच्योर नवजात को शामिल किया गया. रिसर्च में जन्म के बाद प्री मैच्योर 3211 शिशु शामिल किए गए. प्री मैच्योर 1609 शिशु को जन्म के तुरंत बाद मां ने कंगारू मदर केयर दी. नवजात को लगभग 16 घंटे तक कंगारू थैरपी दी गई. वहीं, रिसर्च में प्री मैच्योर 1602 शिशुओं को नियंत्रित समूह में रखा. जिन्हें 3 से सात दिन बाद मां से कंगारू मदर केयर दिलाई गई. इसका समय भी सिर्फ 1.5 घण्टे रहा. रिसर्च में यह सामने आया कि, जिन प्री मैच्योर नवजात को तुरंत कंगारू मदर केयर दी गई. उनमें दूसरे समूह में मौत की दर 25 फीसदी तक कम रही.
क्या है कंगारू थेरपी?
नवजात व शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ एलके मिश्रा का कहना है कि, हम सभी को पता है कि, कंगारू के पेट मेंं थैली होती है. जिसमें वह अपने शिशु को रखता है. जहां पर कंगारू के शिशु का बेहतर विकास होता है. इसी तरह से प्री मैच्योर नवजात को भी मां अपने सीने से लगाकर रखें. नवजात शिशु को डायपर या लंगोट पहनाएं. शिशु के सिर पर टोपी भी जररू लगाएं. कंगारू थेरिपी के दौरान मां की छाती पर कोई कपडा नहीं होना चाहिए. कंगारू थेरिपी देने के लिए मां अपने नवजात शिशु को मुंह को छाती के मध्य स्तनों के बीच रखकर लिटाएं. नवजात छाती से चिपका रहना चाहिए. जिससे नवजात को मां की सांसों, धड़कन, स्पर्श और गर्माहट मिले. इससे नवजात का विकास बेहतर होता है.
जन्म के एक मिनट बाद ही दें कंगारू थेरिपी
नवजात व शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ एलके मिश्रा ने बताया कि, प्री मैच्योर नवजात को कंगारू थेरिपी देना में ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए. प्री मैच्योर नवजात के जन्म के एक मिनट बाद या मां का पहला दूध पिलाने के बाद उसे कंगारू थेरिपी दें. प्री मैच्योर ही नहीं, स्वस्थ्य शिशु के भी विकास में कंगारू थेरिपी दें.
पिता और अन्य परिजन भी दे सकते हैं थेरिपी
नवजात व शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ एलके मिश्रा ने बताया कि, प्री मैच्योर को कंगारू थेरिपी उसकी मां के अलावा पिता और परिजन भी दे सकते हैं. इसमें साफ सफाई का बेहद ध्यान रखें. इसमें मां की तरह ही पिता या घर का कोई भी सदस्य नवजात को अपनी छाती से चिपकाकर कंगारू थेरिपी दे सकता है. इससे नवजात को शरीर की गर्मी मिलती है. जिससे वह हाइपोथर्मिया से उबर जाता है.
2.5 किग्रा से कम वजन के नवजात में बेहद जरूर
नवजात व शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ एलके मिश्रा ने बताया कि, 2.5 किग्रा से कम वजन के नवजात कमजोर श्रेणी में आते हैं. ऐसे नवजात को सघन देखभाल की जरूरत होती है. इसमें कंगारू थेरिपी काफी असरदार रहती है. इस थेरिपी से नवजात का हाइपोथर्मिया से बचाव होने के साथ ही उसका वजन बढता है.
कंगारू थेरिपी में रखें ध्यान
- कंगारू थेरिपी से पूर्व हर बार अपनी छाती को सफाई करें.
- नवजात के मुंह को छाती के मध्य स्तनों के बीच लिटाएं.
- कंगारू थेरिपी में नवजात हमेशा छाती से चिपका रहना चाहिए.
- नवजात के सिर पर टोपी, हाथों में दस्ताने और पैरों में मोजा जरूर पहनाएं.
- नवजात के शरीर पर लंगोटी के अलावा शरीर पर कोई वस्त्र नहीं रखें.
- नवजात का सिर ऐसे ढकें, जिससे उसे सांस लेने में कठिनाई ना हो.
- कंगारू थेरिपी देने वाला मौसम के अनुसार खुद को कपड़े से जरूर ढंकें.