नई दिल्ली.
दुनिया में 5.5 करोड़ से अधिक डिमेंशिया से पीड़ित हैं. हर साल एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं. भारत की हालत बहुत चिंताजनक है. भारत के एक करोड़ से अधिक बुजुर्ग डिमेंशिया की चपेट में आ सकते हैं. सबसे ज्यादा जम्मू-कश्मीर में डिमेंशिया के मरीज हैं. बात करें तो देश में डिमेशिया की दर 8.44 फीसदी है. जो अमेरिका और ब्रिटेन में डिमेंशिंया की दर के लगभग बराबर है. यह दावा अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट मेें हुआ है. यह रिपोर्ट न्यूरोएपिडेमियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है.
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्चर ने 31477 बुजुर्गों पर रिसर्च की गई है. जिसमें कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) और तकनीक का सहारा लिया गया. जिसमें रिसर्चर ने पाया कि, भारत में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में डिमेंशिया के प्रसार की दर 8.44 प्रतिशत हो सकती है. जो, देश में एक करोड़ आठ लाख बुजुर्गों के के बराबर है. जबकि, ओमेरिका और ब्रिटेन में यह दर नौ प्रतिशत है. इसके साथ ही जर्मनी और फ्रांस में 8.5 से 9 प्रतिशत के बीच है.
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के सबसे ज्यादा जोखिम
रिसर्चर ने पाया कि, डिमेंशिया सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में है. इसके अलावा अशिक्षित लोगों और महिलाएं सबसे ज्यादा यह बीमारी होने का खतरा है. रिसर्च के सहलेखक हाओमियाओ जिन बताते हैं कि, एआई के पास इस तरह के बड़े और जटिल डेटा की व्याख्या करने की एक अनूठी ताकत है. हमने रिसर्च में पाया कि, डिमेंशिया का प्रसार स्थानीय नमूनों के पूर्व अनुमानों से अधिक हो सकता है.
एम्स ने एआई मॉडल विकसित किया
नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने रिसर्च के लिए अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और मिशिगन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एक एआई मॉडल विकसित किया है. इसे डिमेंशिया के डाटा के आधार पर प्रशिक्षित किया गया. इसमें निदान के साथ 70 प्रतिशत डिमेंशिया वाले लोगों का डाटा शामिल किया गया. ब्रिटेन की सरे यूनिवर्सिटी में एआई के प्रो. एड्रियन हिल्टन बताते हैं कि, हमने देखा कि एआई में जटिल डाटा पैटर्न की खोज करने की एक बड़ी क्षमता है. जो जीवन को बचाने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में विकास के रास्ते खोलता है.