नई दिल्ली.
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) सही होने पर भी आज लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं. यह कहना है एम्स के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम का. उन्होंने बताया कि, कोरोना संक्रमण के बाद लोगों के खान पान ने भारतीय आबादी के बीच थिन-फैट फेनोटाइप यानी एक अलग तरह का मोटापा बढ़ रहा है. जिसमें पेट पर जमा हो रही चर्बी लिवर, किडनी और दिल की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है. ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है. जिनका बॉडी मास इंडेक्स सही है. लेकिन, पेट के नीचे चर्बी की मात्रा अधिक है. जबकि, ऐसे लोगों के हाथ, पैर, गर्दन पतले हैं. सिर्फ, उनके पेट का हिस्सा गोल होकर बाहर निकल आया है.
भारत में बीएमआई 18.5 से 22.9 तक
एम्स के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम का कहना कि, भारतीयों का बीएमआई का स्तर बाकी एशियाई आबादी और यूरोपीय लोगों की तुलना में कम है. दिखने में व्यक्ति पतले हो सकते हैं, लेकिन शरीर के द्रव्यमान के अनुपात के अनुसार आप मोटे हो सकते हैं. इस वसा का अधिकांश भाग पेट के पास जमा हो जाता है. दुनिया भर में सामान्य बीएमआई 18.5 और 24.9 के बीच माना जाता है. जबकि, भारत में यह 18.5 से 22.9 है.
मोटापा से हो रहा फैटी लिवर
एम्स के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम बताते हैं कि, मोटापा बढ़ने से मधुमेह होने की आशंका चार गुना तक बढ़ जाती है. इसके साथ ही मोटापा से पीड़ित 50 से 75 फीसदी मरीजों में फैटी लीवर पाया जाता है. जिसकी वजह से ऐसे लोग आसानी से 13 तरह के कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक समेत गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. एम्स के प्रोफेसर डॉ. संदीप अग्रवाल का कहना है कि, एम्स में करीब 400 बायोप्सी के डाटा के अध्ययन में से 100 में से पांच का लिवर फेल पाया गया.
हेल्दी फ़ूड से मोटापा करें कम
एम्स की डॉ. वंदना जैन बताती हैं कि, दवाइयों से ज्यादा यदि लोग चाहें तो स्वस्थ भोजन से मोटापा कम का सकते है. एम्स ने मोटापे के शिकार 10 बच्चों के दो ग्रुप बनाए थे. जिसमें एक ग्रुप को मोटापा कम करने की दवा दी गयी. जबकि, दूसरे ग्रुप को स्वस्थ भोजन दिया गया. इस रिसर्च में पाया कि, दोनों ग्रुप में वही परिणाम मिले हैं. ऐसे में स्वस्थ भोजन से ही मोटापा कम करना अच्छा है. इसके साथ ही जिन बच्चों का वजन जन्म के समय कम रहता है. बाद में मोटापा बढ़ने से उनमें समस्या बढ़ती है.
यूं करें बच्चों की केयर
- बच्चों को पौष्टिक आहार खाने को दें.
- बच्चों को जनक और फास्ट फ़ूड न खाने दें.
- छोटे बच्चे कम से कम 9 घंटे नींद लें.
- बड़े बच्चे कम से कम आठ घंटे की नींद लें.