नई दिल्ली.
दुनिया में 19 वीं सदी के अंत और 20 सदी की शुरूआत तक हर व्यक्ति का जीवन काल समान था. चाहे फिर वो आम आदमी हो या कोई वीवीआईपी राजनेता हो. सभी की मृत्युदर में अंतर नहीं था. मगर, अब 20 वीं सदी में बहुत बदलाव हुआ है. इससे दुनिया में आमजन के मुकाबले राजनेता अधिक जीते हैं. यानी अब सभी देशों में आम आदमी और राजनेताओं की मृत्युदर में अंतर बढ़ गया है. यह चौंकाने वाला खुलासा लंदन की ‘ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी’ की रिसर्च में हुआ है.
‘ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी’ की यह रिसर्च ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी’ में प्रकाशित हुई है. जिसमें रिसर्चर ने ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका सहित 11 देशों के 57500 से ज्यादा नेताओं पर अध्ययन किया है. इस अध्ययन में पाया कि, राजनेताओं के लंबा जीवन जीने के पीछे कारण उनके पास आम लोगों की तुलना में अधिक पैसा और आर्थिक असमानता भी है.
महिलाओं का जीवन पुरुषों से ज्यादा लंबा
रिसर्चर का दावा है कि, पुरुषों की तुलना में महिलाएं औसतन ज्यादा जीती हैं. अगर, हम स्विट्जरलैंड की बात करें तो यहां पर आम आदमी और नेताओं के बीच जीवन जीने का अंतर 3 साल है. जबकि, अमेरिका में 7 साल का अंतर है. इटली में आम आदमी की मौत की संभावना उसी उम्र और लिंग के नेताओं के मुकाबले 2.2 गुना ज्यादा होती है.
धूम्रपान की दर में आई मृत्युदर में गिरावट
रिसर्चर का कहना है कि, 20वीं शताब्दी के शुरुआती 50 सालों में कुलीन और पेशेवर लोगों में धूम्रपान की दर ज्यादा थी. हालांकि, सन 1950 के दशक से इसमें गिरावट आई है. आम लोगों की तुलना में नेताओं के बीच धूम्रपान की दर में तेजी से गिरावट आई है.
नेता आसानी से कराते हैं महंगा इलाज
रिसर्च के मुताबिक, आम आदमी बीमारी होने पर महंगा इलाज नहीं करा पाता है. वह आर्थिक रूप से कमजोर होता है. जबकि, नेताओं की लंबी उम्र के पीछे दिल के स्वास्थ्य का भी योगदान हो सकता है. राजनेताओं में दिल की बीमारी का जोखिम ज्यादा होता है. लेकिन सन 1960 के दशक में एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग्स व्यापक रूप से उपलब्ध होने लगीं, जिससे नेताओं के लिए इलाज कराना आसान हो गया.