RNA Therapy: दिल्ली एम्स बायोटेक्नोलाजी के डॉक्टर्स ने दावा किया है कि डेंगू को लेकर पहली बार इस तरह का शोध हुआ है. जिससे आगे चलकर डेंगू के इलाज के लिए आरएनए थेरेपी (RNA Therapy) विकसित करने में मदद मिल सकती है.
नई दिल्ली.
RNA Therapy: दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स ने शोध में आरबीएमक्स प्रोटीन और एमआईआर 133 ए माइक्रो आरएनए की पहचान की. जो डेंगू का वायरस मानव शरीर में अपनी संख्या बढ़ाने में करता है. डॉक्टर्स ने शोध में पाया गया कि डेंगू होने पर सिंथेटिक माइक्रो आरएनए देने पर शरीर में वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता है. यह शोध जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. डेंगू के वायरस पर वार आरएनए थेरेपी (RNA Therapy) से किया जाएगा. जिससे डेंगू का संक्रमण शरीर में कम होगा. अब चूहों पर इसका ट्रॉयल किया जा रहा है.
दिल्ली एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. भूपेंद्र वर्मा ने बताया कि डेंगू से दुनियाभर में हर वर्ष लाखों लोग पीड़ित हैं. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल देश में डेंगू के 233517 मामले सामने आए थे. जिनमें से 297 मरीजों की डेंगू से मौत हुई थी. डेंगू वायरस के चार स्ट्रेन होते हैं. एक बार डेंगू होने के बाद दूसरी बार बीमार पड़ने पर यदि किसी को डेंगू के दूसरे स्ट्रेन का संक्रमण होता है तो यह मरीज के लिए ज्यादा घातक होता है. अभी तक इसकी दवा उपलब्ध नहीं है. मरीजों के लक्षण के आधार पर इलाज किया जाता है.
शोध में यह सामने आया
डेंगू एक आरएनए वायरस है. जो किसी व्यक्ति को संक्रमित करने पर अपना आरएनए शरीर में छोड़ता है. जिससे प्रोटीन बनते हैं. सेल लाइन पर किए गए शोध में पता चला कि आरबीएमक्स प्रोटीन वायरस की संख्या बढ़ाने में मदद करता है. डेंगू का वायरस इस प्रोटीन को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करता है. एक माइक्रो आरएनए एमआइआर 133ए का पता चला. जो आरबीएमएक्स प्रोटीन को नियंत्रित करता है. डेंगू का वायरस माइक्रो आरएनए एमआइआर 133ए को कम करता है. जिससे शरीर में आरबीएमएक्स प्रोटीन बढ़ जाता है. यदि किसी तरह टारगेट करके आरबीएमएक्स प्रोटीन व माइक्रो आरएनए एमआइआर 133ए की साझेदारी रोकी जाए तो शरीर में डेंगू वायरस नहीं बढ़ पाएगा. शोध में पाया गया कि सिंथेटिक माइक्रो आरएनए का इस्तेमाल वायरस को संख्या बढ़ाने से रोकने में किया जा सकता है.
चूहों पर ट्रायल की तैयारी
दिल्ली एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने इसकी तैयारी अब चूहों पर ट्रायल करने की है. यदि ट्रायल सफल हुआ तो डेंगू के इलाज का एक बेहतर विकल्प मिलेगा. इस शोध में डॉ. भूपेंद्र वर्मा के नेतृत्व में बायोटेक्नोलाजी विभाग के दो शोधार्थियों अंजली सिंह व सौम्या सिन्हा ने भी अहम भूमिका निभाई है.