SNMC News: आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में भर्ती एक नवजाज की मौत का मामला सामने आया है. आरोप है कि वेंटिलेटर के अभाव में बच्चे की मौत हुई है. गंभीर रूप से बीमार नवजात के लिए वेंटिलेटर की डॉक्टर्स से गुहार लगाई थी.
आगरा, उत्तर प्रदेश
SNMC News: उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC News) के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती एक नवजाज की वेंटिलेटर के अभाव में मौत हो गई. पीड़ित परिवार लगातार गंभीर रूप से बीमार नवजात के लिए वेंटिलेटर की डॉक्टर्स से गुहार लगाता रहा. यह वहीं एनआईसीयू है, जिसका शनिवार को प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन ने निरीक्षण किया था. तब मासूम इस एनआईसीयू में भर्ती था. मगर, वेंटिलेटर नहीं मिलने से परिजन एम्बु बैग से मासूम को आक्सीजन दे रहे थे. इसके बाद भी नवजात नहीं बचा तो परिजन ने एसएनएमसी की बदइंतजामी पर कार्रवाई की मांग की है.
हरिपर्वत थाना के नाला बुढान सैयद निवासी मनोज ने बताया कि पत्नी पूजा ने छह जून-2025 को सादाबाद सीएचसी पर बेटी को जन्म दिया. बेटी के पेट में गंदा पानी चला गया तो उसे गंभीर हालत में डॉक्टर्स ने सादाबाद से हाथरस रेफर कर दिया. हाथरस में वेंटिलेटर नहीं था, इसलिए चिकित्सकों ने नवजात की हालत गंभीर देखकर एसएनएमसी (SNMC News) को रेफर किया. जिस पर एसएनएमसी के बाल रोग विभाग के एनआईसीयू में नवजात बेटी को भर्ती कराया.
ये लगाए आरोप
मनोज का आरोप है कि हाथरस से शनिवार दोपहर नवजात बेटी को गंभीर हालत में एसएनएमसी (SNMC News) के एनआईसीयू में भर्ती कराया था. जहां पर पहले से एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती करके उपचार किया जा रहा था. जब डॉक्टर से नवजात के लिए वेंटिलेटर की मांग की तो उन्होंने कहा कि अभी वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है. डॉक्टर ने एक अंबू बैग दिया. कहा कि इसे दबाकर नवजात को आक्सीजन दें. अंबू बैग दबाया. मगर, नवजात की जान नहीं बची. इस दौरान लगातार बच्ची की हालत देखकर चिकित्सकों से वेंटिलेटर के लिए गुहार लगाई. मगर, नवजात बेटी को वेंटिलेटर नहीं मिला. जिससे उसकी मौत हो गई. मनोज ने इस बारे में मैंने एनआईसीयू का निरीक्षण करने आए चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा से चिकित्सकों ने शिकायत करने नहीं दी.
जांच कराई जा रही
एसएनएमसी के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि नवजात बच्ची की हालत गंभीर थी. वेंटिलेटर सपोर्ट से पहले बच्ची को अंबु बैग से आक्सीजन दिया जा रहा था. नवजात की मृत्यु का कारण वेंटिलेटर नहीं मिलना नहीं है. गंभीर हालत की वजह से बच्ची की मौत हुई होगी. इसकी जांच कराई जा रही है. बाल रोग विभाग के एनआईसीयू में इस समय क्षमता से अधिक बच्चे भर्ती हैं. आसपास के जिलों से भी गंभीर हालत में बच्चे एसएनएमसी के एनआईसीयू में आते हैं. नवजात की गंभीर हालत देखकर उन्हें यहां से लौटाया नहीं जा सकता है.
यह एनआईसीयू का हाल
यूनिट का नाम | बेड | वेंटिलेटर | मरीज भर्ती |
एनआईसीयू | 24 | 09 | 50 |
पीआईसीयू | 20 | 13 | 20 |
लेडी लॉयल और जिला अस्पताल के एनआईसीयू में भर्ती किए जाए बच्चे
डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने एनआईसीयू का निरीक्षण के बाद मरीजों की संख्या अधिक होने पर लेडी लॉयल और जिला अस्पताल के एनआईसीयू के इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं. लेडी लॉयल की बात करें तो यहां पर सात बाल रोग विशेषज्ञ हैं. यहां के एनआईसीयू में बच्चे भर्ती करके उपचार किए जाए. जिला अस्ताल के एनआईसीयू में बच्चों को भर्ती करके उपचार किया जाए तो एसएनएमसी में मरीजों की संख्या कम होगी.