SNMC News: आगरा के अछनेरा में एक 18 माह का बच्चा घर में खेल खेल में दीवार से छुड़ाकर पपड़ी खा ली. जिो बच्चे के गले में फंस गई. बच्चे की तबियत खराब होने पर एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. जहां पर ब्रांकोस्कोपी से डॉक्टर्स ने 20 मिनट में बच्चे के गले से पपड़ी निकाली.
आगरा, उत्तर प्रदेश
SNMC News: उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज (SN Medical College Agra) के डॉक्टर्स ने 18 माह के बच्चा की जान बचाई है. बच्चा ने घर में दीवार की पपड़ी हटाई और उसे खा लिया. जिससे बच्चे के गले में पपड़ी फंसी गई. जब बच्चे की हालत खराब हुई तो परिजन गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी लेकर पहुंचे. एसएनएमसी के ईएनटी (ENT specialist Dr. Akhil Pratap Singh) स्पेशलिस्ट डॉ. अखिल प्रताप सिंह और उनकी टीम ने 20 मिनट में ब्रांकोस्कोपी के जरिए पापड़ी निकाली. जिससे बच्चे की हालत में सुधार हुआ. इसके बाद उसे बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया है.
आगरा के अछनेरा निवासी विष्णु ने बताया कि मेरा डेढ़ साल का बेटा यश है. बेटा यश ने घर में दीवार से पपड़ी उखाड़कर मुंह में खा ली. बेटा के गले में पपड़ी चिपक गई. जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी. वो खींच कर सांस लेने लगा. उसे पानी पिला दिया. उन्हें लगा कि ठीक हो जाएगा. लेकिन बच्चे को राहत नहीं मिली. रात में जब बेटा यश की तबीयत ज्यादा खराब हुई तो उसे बेहोशी होने लगी. घरवाले रात में दो-ढाई बजे एसएनएमसी की इमरजेंसी लेकर पहुंचे. बेटा यश को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.

SNMC News: पीकू वार्ड में किया गया था भर्ती (He was admitted in Piku ward)
एसएनएमसी के डॉक्टर्स ने यश को पहले पीकू में एडमिट करके उसका उपचार शुरू किया. जिस पर बच्चे का एक्सरे कराया तो एक्सरे में कुछ नहीं निकला. जब उसका सीटी स्कैन कराया तो कोशिश की. लेकिन, बच्चे को दिक्कत ज्यादा हो रही थी.
SNMC News: ब्रांकोस्कोपी से बची मासूम की जान (Bronchoscopy saves the life of an innocent)
एसएनएमसी के ईएनटी डिपार्टमेंट के स्पेशलिस्ट डॉ. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि बच्चे की ब्रांकोस्कोपी की गई. जिसमें दूरबीन से सांस की नली का परीक्षण किया गया. 20 मिनट के प्रोसेस में बच्चे के गले से पपड़ी निकाली. इसके बाद बच्चा अच्छी तरह से सांस लेने लगा. ये ब्रांकोस्कोपी बेहोश करके की गई. इस दौरान ये भी ध्यान रखा गया कि ऑक्सीजन का स्तर कम ना हो. थोड़ी देर बाद बच्चे को डिस्चार्ज भी कर दिया गया. इसमें ब्रांकोस्कोपी में एनेस्थिशिया टीमडॉ. पल्लिका और डॉ. अंकिता शामिल रहीं.