विटामिन-ए ऐसा विटामिन है तो वसा में घुलनशील विटामिन है. विटामिन-ए से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. अभियान में अभिभावक अपने नौ माह से पांच साल तक की उम्र के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक जरूर पिलाएं.
भारत में पात्र पांच में से दो बच्चों को विटामिन-ए की खुराक नहीं दी गई. जरूरतमंद बच्चों तक विटामिन-ए की पहुंच सुनिश्चित करें. वैश्विक स्तर पर करीब 190 मिलियन बच्चे विटामिन-ए की खुराक से वंचित हैं.
यूनिसेफ के पोषण प्रमुख डॉ. अर्जन डी वाग्ट की मानें तो भारत में बच्चा का ओवरवेट होना एक बड़ी समस्या है. शरीर में बहुत अधिक वसा से गैर.संचारी रोग (टाइप 2 डायबिटीज, दिमाग, किडनी, हड्डी, लिवर की बीमारियां, कैंसर और विकलांगता) जैसे बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.
मां के दूध में कैल्शियम के साथ तमाम विटामिन और मिनरल होते हैं. जो नवजात या शिशु के की सेहत के लिए बेहद जरूरी होते हैं. स्तनपान से जहां महिलाओं को मातृत्व की सुखद अनुभूति होती है. तो उनके दूध से शिशु को एंटीबॉडीज मिलती हैं. जो इम्युनिटी बूस्टर होती हैं.
बदलते मौसम में बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होना चाहिए. इम्युनिटी पर ही शुरुआत में बच्चों की ग्रोथ निर्भर करती है. बच्चों की अच्छी ग्रोथ मतलब उसकी डाइट और सेहत पर माता पिता ने बेहतर ध्यान दिया. अब मानसून में जब सबसे ज्यादा हार्मफुल बैक्टीरियाज और जर्म खूब एक्टिव रहते हैं तो तब ज्यादा ध्यान…
अक्सर करके बच्चे कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं. या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं. जिससे उनके पेट में कीड़े पनप जाते हैं. इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से बच्चों के पेट में पनपे कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं.
एक से 19 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चे और किशोरों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए प्रदेश में वर्ष में दो बार अभियान चलाया जाता है. इस साल राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस बुधवार यानी (20 जुलाई) को है.
हरियाली वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों का आईक्यू का स्कोर 105 था. जबकि, आईक्यू का स्कोर 80 से कम वाले बच्चों में 4 फीसदी बच्चे हरियाली के निम्न स्तर वाले क्षेत्रों में मिले. सामान्य तौर पर देखा जाए तो आईक्यू का स्कोर 90 से 110 के बीच में होता है.
रिसर्च में दावा है कि, जो लोग घरों पर नेबुलाइजर इस्तेमाल करते हैं. उन्हें नेबुलाइजर की साफ-सफाई और रख-रखाव की सही जानकारी नहीं होती है. इसलिए गंदे नेबुलाइजर का इस्तेमाल मरीजों को लाभ की बजाय उनकी समस्या गंभीर करता है.
Tomato Flu Kerala: बच्चों पर कहर ढा रहा टोमैटो फ्लू, जानें एक्सपर्ट ये बता रहे लक्षण और बचाव के उपाय
केरल में बच्चों के हाथों में गहरे लाल रंग के फफोले दिखाई देते हैं. इस बीमारी की चपेट में ज्यादातर 5 साल से छोटे बच्चे हैं. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि, टोमैटो फ्लू से बच्चों को बचाने के लिए उनकी स्वच्छता पर ध्यान दें और उनके हाइड्रेटेड रहने पर ध्यान दें.