मां का दूध बच्चों का सर्वोत्तम आहार है. मां के दूध से शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास बेहद तेजी से होता है. इतना ही नहीं, मां का दूध ही शिशु को डायरिया, निमोनिया और कुपोषण से बचाता है.
भारत में पात्र पांच में से दो बच्चों को विटामिन-ए की खुराक नहीं दी गई. जरूरतमंद बच्चों तक विटामिन-ए की पहुंच सुनिश्चित करें. वैश्विक स्तर पर करीब 190 मिलियन बच्चे विटामिन-ए की खुराक से वंचित हैं.
यूनिसेफ के पोषण प्रमुख डॉ. अर्जन डी वाग्ट की मानें तो भारत में बच्चा का ओवरवेट होना एक बड़ी समस्या है. शरीर में बहुत अधिक वसा से गैर.संचारी रोग (टाइप 2 डायबिटीज, दिमाग, किडनी, हड्डी, लिवर की बीमारियां, कैंसर और विकलांगता) जैसे बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.
हर साल एक अगस्त से सात अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. जिसमें महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए जागरुक किया जाता है. इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम समर्थन एवं सहयोग है.
मां के दूध में कैल्शियम के साथ तमाम विटामिन और मिनरल होते हैं. जो नवजात या शिशु के की सेहत के लिए बेहद जरूरी होते हैं. स्तनपान से जहां महिलाओं को मातृत्व की सुखद अनुभूति होती है. तो उनके दूध से शिशु को एंटीबॉडीज मिलती हैं. जो इम्युनिटी बूस्टर होती हैं.
बदलते मौसम में बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होना चाहिए. इम्युनिटी पर ही शुरुआत में बच्चों की ग्रोथ निर्भर करती है. बच्चों की अच्छी ग्रोथ मतलब उसकी डाइट और सेहत पर माता पिता ने बेहतर ध्यान दिया. अब मानसून में जब सबसे ज्यादा हार्मफुल बैक्टीरियाज और जर्म खूब एक्टिव रहते हैं तो तब ज्यादा ध्यान…
निरोगी काया के लिए योगासन बेहद जरूरी हैं. योग चिकित्सा हमारी प्राचीन काल की है. यह वैदिक चिकित्सा है. इस चिकित्सा से उपचार करने पर लोगों को तमाम असाध्य रोगों में लाभ मिलता है.
मंकीपॉक्स का संक्रमण कोरोना के संक्रमण से कम संक्रामक है. लेकिन, इसमें भी बच्चों पर ज्यादा जोखिम है. चलिए जानते हैं कि, बच्चों से लेकर बुजुर्गों को मंकी पॉक्स से बचाव के लिए क्या करना चाहिए ? पुरुषों के लिए डब्ल्यूएचओ की क्या सलाह है?
डीएम आगरा की ओर से पत्र जारी किया गया है. जिसके जरिए सभी ग्राम प्रधानों से अपील की है कि, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत की बैठक और ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति (वीएचएसएनसी) की बैठक में लोगों को मानसिक स्वास्थ्य विषयक समस्या पर चर्चा करें.
दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर रखने में यह अंतरा बेहतर विकल्प है. इसकी डोज प्रत्येक तीन माह में एक बार लेनी होती है.