नई दिल्ली.
देश की महिलाओं में मोटापा, खानपान और खराब जीवनशैली ही रक्तचाप (blood pressure) के लिए जिम्मेदार नहीं है. महिलाओं में बढते ब्लड प्रेशर (blood pressure) की वजह लैंगिक अपराध भी है. जिसमें घरेलू हिंसा, ज्यादा बच्चे पैदा करना भी एक बडा कारण है. इससे भी महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ा…
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक विभाग की तीन साल तक चली रिसर्च के बाद विशेषज्ञों ने भारत के लोगों में घुटना ट्रांसप्लांट को इम्प्लांट के मानक बदल दिए हैं. यह रिसर्च इंडियन जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक में मंजूर की गई है.
हरियाली वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों का आईक्यू का स्कोर 105 था. जबकि, आईक्यू का स्कोर 80 से कम वाले बच्चों में 4 फीसदी बच्चे हरियाली के निम्न स्तर वाले क्षेत्रों में मिले. सामान्य तौर पर देखा जाए तो आईक्यू का स्कोर 90 से 110 के बीच में होता है.
यूरोप में 21 दिन तक 64 लोगों पर रिसर्च की गई. जिसमें भूख के स्तर और भावनात्मक स्वास्थ्य को विभिन्न पैमानों से मापा. ऐप के जरिए हर प्रतिभागी में भूख स्तर की रोजाना पांच बार रिपोर्ट दर्ज की गई. जिसमें चिड़चिड़ापन और क्रोध में वृद्धि देखी गई.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में दिल्ली एम्स का एक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ है. जो भारत समेत दुनियाभर के लोगों में कोरोना संक्रमण के बाद होने वाली पेट से जुड़ी बीमारियों पर की गई स्टडी पर आधारित है.
रिसर्चर ने अपनी स्टडी में पांच लाख लोग शामिल किए. जो सीमित मात्रा से अधिक नमक का सेवन करते थे. स्टडी के मुताबिक, अतिरिक्त नमक का सेवन करने वालों की मौत का जोखिम अधिक होता है. रिसर्च में पहली बार नमक के सेवन और मृत्यु दर में संबंध सामने आया है.
असहनीय दर्द से परेशान और पेन किलर की हैवी डोल लेने वाले मरीजों के लिए अच्छी खबर है. अब उन्हें दर्द में राहत के लिए न पेन किलर लेनी होगी और न ही नींद की गोली का सेवन करना होगा. एक विशेष उपकरण से उन्हें दर्द में राहत मिलेगी.
लंदन की ‘ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी’ के रिसर्चर ने अपनी रिसर्च में दावा किया है कि, नेता का जीवन काल आम आदमी से ज्यादा है. जबकि, 19 वीं सदी के अंत तक नेता और आम आदमी की मत्युदर समान थी.
एक पैर पर दस सैंकड तक खड़े नहीं हो पाना सेहत के लिए ठीक नहीं है. ‘ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन’ में प्रकाशित एक रिसर्च में रिसर्चर ने यह दावा किया है. यह रिसर्च 51 से 75 आयु वर्ग के करीब 1702 लोगों पर की गई.
मौसम का बिगड़ा मिजाज (एक्सट्रीम वेदर) को लेकर हुई रिसर्च में दावा है कि, बीते दो दशक में तीन लाख लोगों की जान मौसम सबंधी कारण की वजह से गई. इसके साथ ही 400 करोड लोगों का जीवन भी बाढ़ और सूखा से प्रभावित हुआ है.