नई नवेली दुल्हन रितिका का कहना है कि, आज भी तमाम लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते नहीं हैं. बेटियों का बाल विवाह कर देते हैं. इससे बेटियों को पूरे जीवन में परेशानियां होती हैं.
आगरा.
भारत में 40 % लोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित हैं. जैसे ही इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. उनमें टीबी के लक्षण आने लगते हैं. चैंकाने वाली आंकडे हर वर्ष टीबी से मौत के हैं. देश में साल 4.90 लाख मौत हो रही हैं. जिसे 90 प्रतिशत तक…
आज सोशल मीडिया का दौर है. सोशल मीडिया ने तमाम लोग मशहूर कर दिए तो सोशल मीडिया अब एजुकेशन और जागरूकता का जरिया भी बन गया है. आज हम ऐसे ही एक चिकित्सक के बारे में बताने जा रहे हैं. जो बेहद सरल हैं. हमेशा सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो शेयर करते हैं. जो उनके…
आगरा में तीन दिवसीय नेटकॉन 2023 का आयोजन किया जा रहा है. यह 77वीं नेशनल कांफ्रेंस ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड चेस्ट डिजीज नेटकाॅन है. जो होटल जेपी में हो रही है.
केंद्र सरकार अब ई संजीवनी में चार नए फीचर जोड़े जा रहे हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण फीचर टेलिडायग्नोस्टिक का है. जिसके तहत वेलनेस केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सभी जांच मशीनों को ई संजीवनी पोर्टल से जोड़ी जा रही हैं.
आगरा.
देश और दुनियां में तेजी से फिशर, पाइल्स, फिस्टुला, कोलन कैंसर की समस्याएं बढ़ रही हैं. ऐसे में जरूरत है कि, नई तकनीकी से सर्जन्स को ट्रेंड किया जाए. आगरा में आयोजित वल्र्डकाॅन 2023 में आईएससीपी ने तीन वर्ष में 20 हजार सर्जन्स को सर्जरी की नई तकनीकि में ट्रेंड करने की योजना बनाई…
आगरा.
आज देखा जाए तो फिशर के मरीजों में 10 प्रतिशत बच्च और किशोर हैं. जिनकी उम्र 5 से 18 साल हैं. इनमें चार प्रतिशत बच्चे और किशार की सर्जरी तक करनी पड़ रही है. आगरा के फतेहाबाद रोड स्थित कलाकृति ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आॅफ कोलो प्रोक्टोकालोजी वर्ल्डकॉन 2023 में दूसरे दिन…
आगरा.
आगरा में भारत को टीबी मुक्त बनाने पर मंथन किया जाएगा. जिसमें देश के साथ ही विदेश के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे. ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया , डिपार्टमेंट ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड रेस्पीरेटरी डिजीज (एसएन मेडिकल कालेज) और यूपी टीबी एसोसिएशन एंड द यूनियन साउथ ईस्ट एशिया रीजन के सहयोग से तीन दिवसीय नेटकॉन-2022 (Natcon…
आगरा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस आफ कोलो प्रोक्टोकालोजी में नई तकनीकी पर चर्चा की गई. जिसमें बताया गया कि, भारत में मात्र 20 फीसदी सर्जन की नई तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं.
गुरुग्राम: कोरोना के कहर से दुनिया कराह रही है. आज भी कोरोना का नाम जेहन मे आते ही लोगो की रूह कांप जाती है. क्योंकि, अभी कोरोना सिर्फ थमा है. अभी खत्म नहीं हुआ है. इसी वजह से आज भी तमाम लोग कोरोना की वजह से दहशत में हैं. आज हम कोरोना के खौफ की…