नई दिल्ली.
दुनिया अभी कोरोना का कहर झेल रही थी. ऐसे में मंकीपॉक्स संक्रमण से एक बार फिर दशहत फैल गई है. विश्व के 80 देशों में करीब 17 हजार से ज्यादा मंकीपॉक्स के मिले हैं. भारत में भी केरल, दिल्ली, एनसीआर और अन्य जगह पर मंकीपॉक्स के संक्रमित और संदिग्ध मिल चुके हैं. इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि, इसका संक्रमण संभव है. लेकिन, यह ज्यादा घातक नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकीपॉक्स के भारत में तेजी से फैलने की आशंका बेहद कम है. दुनिया में जहां भी यह फैल रहा वहां मंकीपॉक्स का दौर आता रहा है. वहीं, भारत इससे अछूता रहा है.
मंकीपॉक्स में वैक्सीन कारगर
मंकीपॉक्स संक्रमण का फिलहाल कोई इलाज नहीं है. मगर, यूरोपीय देशों और अमेरिका में चेचक का टीका लगाकर इसका इलाज किया जा रहा है. यूरोपीय देश इम्वेनेक्स वैक्सीन लगा रहे हैं. इसे डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक ने तैयार किया है. जाइनॉस की भी दो खुराक दी जा रही है. जबकि, भारत में चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के मरीजों को नहीं दिया जाएगा.
भले ही मंकीपॉक्स से पश्चिमी अफ्रीका में मौत होने के मामले सामने आए हैं. जो, एक फीसदी से भी कम हैं. सामान्य आबादी में इससे मृत्यु दर 0 से 11 तक हो सकती है. छोटे बच्चों में जानलेवा होने की आशंका बनी हुई है. इसके साथ ही मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स होता है. हालांकि, यूरोपीय देशों में ज्यादातर पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में यह संक्रमण मिला है.
भारत में चिंता की बात नहीं
विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकीपॉक्स को लेकर भारत में अभी कोई चिंता की बात नहीं है. क्योंकि, भारत में सन 1980 के दशक तक बच्चों को जन्म के समय ही चेचक के टीका लगाया जाता है. ऐसे में 40 साल से ऊपर वाले ऐसे लोग जिन्हें चेचक के टीके उस समय लगे थे. उन पर अब मंकीपॉक्स का खतरा कम हो सकता है.