आगरा: कैंसर से डरें नहीं. कैंसर का इलाज है. आज जैसे-जैसे कैंसर तेजी से पैर पसार रहा है. वैसे ही उसके उपचार-जांच की अत्याधुनिक दवाएं और तकनीक आ रही हैं. नाक, कान, मुंह का कैंसर सर्जरी के बाद ठीक हो जाता है. लेकिन, गले के साथ ऐसा नहीं है. गले में कैंसर होने पर यह शरीर के किसी भी अंग तक पहुंच सकता है. इसलिए, कैंसर की सर्जरी के पहले और बाद में भी जोखिम बना रहता है. आगरा के होटल मुगल शेरेटन में इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल आंकोलाजी की कान्फ्रेंस मिडकान-23 में आखिरी दिन रविवार को मेदांता मेडिसिटी गुरुग्राम में मुंह, गला कैंसर विशेषज्ञ डाॅ. दीपक सरीन ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि, मुंह और गले का कैंसर तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करने से होता है. तंबाकू से गला, जीभ, मसूड़े, गाल, जबड़ा भी कैंसर की चपेट में आ जाता है.

मेदांता मेडिसिटी गुरुग्राम के मुंह और गला कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ. दीपक सरीन का कहना है कि, तंबाकू की लार से अन्य हिस्सों में कैंसर फैलता है. इसलिए, कहा जाता है कि, तंबाकू की लार जहां तक जाएगी. कैंसर वहां तक पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि, जैसे सिगरेट से कैंसर फेफड़ों तक पहुंच जाता है. वैसे, मुंह और गले का कैंसर सर्जरी के बाद ठीक हो जाता है. लेकिन, एक तिहाई मामले में दोबारा से कैंसर हो सकता है. इतना ही नहीं, गले का कैंसर गर्दन की गिल्टियां और रक्त नलिकाओं के जरिए शरीर के किसी भी अंग तक पहुंच सकता है. सर्जरी के यदि तीन साल बाद तक कैंसर नहीं लौटा तो इसका खतरा कम हो जाता है. अमूमन गले का कैंसर गांठ बनने के बाद पकड़ में आता है. सबसे चिंता का विषय है कि, भारत में विश्व के 33 प्रतिशत मुख कैंसर के रोगी हैं.
पेट के कैंसर में नई थेरेपी से फायदा
कान्फ्रेंस मिडकान-23 के आयोजन सचिव डाॅ. संदीप अग्रवाल ने बताते हैं कि, आज सबसे ज्यादा घातक पेरोटोनियल कैंसर होते हैं. क्योंकि, हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग पेट है. जब उसकी सतह में कैंसर हुआ तो पूरे पेट में फैलेगा. अब इन हिस्सों के टारगेटेड इलाज के लिए साइटो रिडक्टिव थेरेपी आ गई है. इसमें उच्च तापमान पर शरीर के कैंसर वाले हिस्से को लक्ष्य बनाकर कीमो को पेट में डाला जाता है.

शहरों में बढ़ रहे गर्भाशय कैंसर
कॉन्फ्रेंस में आए रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विनीत नाकरा ने बताया कि, टीयर टू शहरों की महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. इनके इलाज में रेडिएशन थेरेपी महत्वपूर्ण है. महिलाओं में सर्विक्स, अंडाशय और गर्भाशय के कैंसर सबसे आम हैं. जीवनशैली में बदलाव के कारण गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. आगरा जैसे शहरों में भी मामले बढ़ रहे हैं.
अब 20 और 25 साल के युवा भी कैंसर के शिकार
कैंसर रोग विशेषज्ञों ने बताया कि, पहले मुंह और गले के कैंसर के 40 से 60 साल तक के मरीज आते थे. अब 20 से 25 साल के युवा भी अस्पताल आ रहे हैं. जो कैंसर की चपेट में आ गए हैं. इसकी वजह आज युवाओं में सिगरेट पीने का प्रचलन है. अगर, हम अमेरिका की बात करें तो वहां पर जीभ का कैंसर बहुत है. क्योंकि, वहां पर लोग अधिक सिगरेट पीते हैं.
10 साल में तेजी से बढ़ा ब्रेस्ट कैंसर
एम्स दरभंगा के निदेशक डाॅ. माधवानंद कर ने बताया कि, बीते 10 सालों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा तेजी से बढ़े हैं. अब 40 से 50 साल की महिलाओं में यह अधिक दिखने लगा है. 60 प्रतिशत मरीज तीसरी या चौथी स्टेज पर आ रहे हैं. सिर्फ 30 प्रतिशत अर्ली स्टेज पर कैंसर विशेषज्ञों तक पहुंच पाते हैं. उन्होंने कहा कि, कैंसर से डरने की जरूरत नहीं. बस समय से डॉक्टर के पास पहुंचे. कैंसर का इलाज है.