नई दिल्ली.
इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन और एम्स दिल्ली की ओर से प्लास्टिक सर्जरी को लेकर जनता को जागरुक की तैयारी की है. जिससे प्लास्टिक सर्जरी से जुड़े मिथक दूर हों. लोग डरेें नहीं. लोगों को जागरुक करने के लिए 15 जुलाई यानी शुक्रवार को फिल्मों की एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
बता दें कि, 15 जुलाई को प्लास्टिक सर्जरी दिवस है. इस दिन ही दिल्ली एम्स में फिल्मों की एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इसमें 100 से ज्यादा प्लास्टिक सर्जनों की बनाई फिल्में होंगी. जो उनके बेहतर सर्जरी की हैं. इसमें चंडीगढ़ पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर का कटा हाथ जोड़ना, प्रिंटिंग प्रेस में कटी उंगलियों को दोबारा जोड़ना जैसे ही तमाम सर्जरी की फिल्में होंगी. इस तरह की सर्जरी हर रोज देशभर में प्लास्टिक सर्जन कर रहे हैं. हालांकि, 60 फीसदी से अधिक लोग प्लास्टिक सर्जरी को सिर्फ कॉस्मेटिक सर्जरी मानते हैं.
दिल्ली एम्स के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एसओडी डॉ. मनीष सिंघल बताते हैं कि, प्लास्टिक सर्जरी का काम सिर्फ त्वचा या ऊतकों में बदलाव करके सुंदर दिखाना नहीं है. बल्कि, हादसों में उंगली और हाथ, जो बिल्कुल अलग हो गए हैं. उन्हें दोबारा से जोड़ना भी है. दिल्ली एम्स की बात करें तो यहां पर 50 फीसदी से अधिक मरीज ट्रॉमा से आते हैं. ऐसे मरीजों की इसी तरह से प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. इस बारे में इंडियन प्लास्टिक सर्जन एसोसिएशन के सचिव डॉ. विजय कुमार बताते हैं कि, देश में लगभग 2500 प्रशिक्षित प्लास्टिक सर्जन हैं. जो अपनी कार्य कुशलता से लोगों की जिंदगी संवार रहे हैं.
नागराज के दोनों हाथों की कटी उंगलियों को जोड़ी
बता दें कि, तमिलनाडु के डॉ. एस राजा सभापेथी की एक जटिल सर्जरी की फिल्म भी प्रदर्शनी होगी. फिल्म में नागराज नाम के एक व्यक्ति की सच्ची कहानी दिखाई है. एक दिन प्रिंटिंग प्रेस में काम करते समय नागराज के दोनों हाथों की उंगलियां कट गई. सर्जन टीम ने 10 घंटे की सर्जरी के बाद उंगलियों को जोड़ा था. यदि नागराज की उंगलियां नहीं जुडती तो वो भीख मांगने को मजबूर होता है.